जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने आज कहा कि श्रीनगर लोकसभा चुनाव के लिये आज हुआ मतदान अलगाववादियों विशेषकर के हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स की आंखे खोलने के लिये काफी है. उन्होंने हुर्रियत पर 'भय की राजनीति' करने का आरोप लगाया.
ओमर अब्दुल्ला ने आज श्रीनगर लोकसभा सीट पर हुये मतदान को 'हल्का' मानने से इंकार करते हुये कहा कि कुछ लोग "हमेशा इसे हल्का मतदान ही कहेंगे". हुर्रियत को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव बहिष्कार की उनकी अपील को ठुकराकर जितने लोग आज वोट डालने से निकले उससे हुर्रियत की आंखे खुल जानी चाहिये...जबकि सीमा पार से उन्हें वोट नहीं डालने की चेतावनी दी गई थी.
अपनी पत्नी पायल अब्दुल्ला के साथ वोट डालने के बाद हुर्रियत पर निशाना साधते हुये उन्होंने कहा "वह (मीरवाइज़ उमर फ़ारुक) हमेशा ही दबाव में आ जाता है. और आतंकवादियों की धमकी की वजह से ही हुर्रियत ने चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा की है."
उन्होंने कहा कि सीमा पार के दबाव की वजह से अलगाववादी "भय की राजनीति करते हैं...जिससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है."
अलगाववादी संगठन हुर्रियत ने पहले कहा था कि वो इस बार चुनावों के बहिष्कार की अपील नहीं करेगा...लेकिन बाद में अपने रुख को पूरी तरह से बदलते हुये कश्मीर घाटी में चुनावों के बहिष्कार की अपील की है.