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औस्ट्रेलिया से अफ़ग़ानिस्तान में और सैनिक भेजने का आग्रह
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27/04/2009
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| Australian soldiers of the NATO-led International Security Assistance Force (ISAF) keep guard on top of armored vehicles, in Tirin Kot, the capital of Uruzgan province (File) | अफ़ग़ानिस्तान स्थित औस्ट्रेलियाई सैनिक, कैनबरा सरकार से और अधिक लड़ाका सैनिक सलाहकार अफ़ग़ानिस्तान भेजने का अनुरोध कर रहे हैं, हालांकि युद्ध के लिए जन समर्थन कम होता जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता सेना, लड़ाई में अफ़ग़ान सैनिकों का साथ देने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए और अधिक औस्ट्रेलियाई सैनिक भेजे जाने का अनुरोध कर रही है. इस बारे में सिडनी, औस्ट्रेलिया से फ़िल मर्सर की रिपोर्ट-
अफ़ग़ानिस्तान में औस्ट्रेलिया के सबसे वरिष्ट थल सेना अधिकारी ने कहा कि स्थानीय सैनिकों को सुरक्षा की और अधिक ज़िम्मेदारी की तैयारी में सहायता के लिए उनके सैनिकों के पास सबसे अधिक साधन हैं.
ब्रिगेडियर जौन कलिगारी ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान स्थित अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता सेना, युद्ध के बारे में सलाह मशविरा देने के लिए और अधिक औस्ट्रेलियाई सलाहकारों की नियुक्ति चाहती है.
ब्रिगेडियर के विचार में तालिबान उग्रवादियों से लड़ने की आस्ट्रेलिया की रणनीति प्रभावकारी सिद्ध हुई है और अफ़ग़ान थल सेना को उस नीति को युद्ध की रूपरेखा के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए.
औस्ट्रेलियाई सैनिक पहले भी मलेशिया, बोर्नियो और वियतनाम में उग्रवाद विरोधी जटिल कार्यवाहियों में भाग ले चुके हैं जहां उन्होंने लगातार निगरानी की ब्रिटिश नीति अपनाई थी.
श्री कलिगारी ने औस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय प्रसारण एबीसी को बताया कि अफ़ग़ानिस्तान की दीर्घकालिक शांति स्थानीय सैनिकों की प्रभावकारिता पर निर्भर करती है. उन्होंने कहा-
“अफ़ग़ानिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय सेना के संचालन कमांडर को और अधिक परामर्शदाताओं की आवश्यकता है क्योंकि यही एक तरीक़ा है जिससे हम उन्हें उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर सकते हैं और अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त हो सकते हैं.”
अफ़ग़ानिस्तान में औस्ट्रेलिया के 1,100 सैनिक हैं. इस टुकड़ी में 440 परामर्श और पुनर्निर्माण की एक शक्तिशाली टास्क फ़ोर्स शामिल है जो अफ़ग़ान सैनिकों को प्रशिक्षण देती है.
प्रत्याशा है कि प्रधान मंत्री केविन रुड अफ़ग़ानिस्तान में औस्ट्रेलिया की सैनिक उपस्थिति बढ़ा देंगे जिसमें प्रशिक्षण दल का विस्तार भी शामिल होगा.
श्री रुड ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में उग्रवाद पर विजय आवश्यक है जिससे देश को “आतंकवादियों के प्रशिक्षण का अड्डा” होने देने से बचाया जा सकता है. सन 2002 से लेकर अब तक अफ़ग़ानिस्तान में दस औस्ट्रेलियाई सैनिक मारे गए हैं.
हाल के मत सर्वेक्षणों से पता चला है कि औस्ट्रेलिया वासियों के बीच अफ़ग़ानिस्तान युद्ध का समर्थन कम होता जा रहा है.
युद्ध विरोधी सक्रियवादियों का कहना है कि दक्षिण एशिया में युद्ध की स्थिति बहुत ख़राब है जो “औस्ट्रेलिया के वृहत सुरक्षा हितों के विपरीत” जाती है.
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