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Sri Lankan government soldiers conduct a search operation in the area where a group of ethnic Sinhalese farmers were allegedly hacked to death by suspected Tamil Tiger rebels in Buttala, Sri Lanka, 13 Apr 2009 |
श्रीलंका सरकार और तमिल आतंकी संगठन लिट्टे के बीच नो-फायर ज़ोन या सुरक्षित क्षेत्र में फंसे हुये नागरिकों की दशा गंभीर बनी हुई है...लिट्टे को अमरीकी सरकार ने विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है.
इस साल जनवरी से ही श्रीलंकाई सेना ने लिट्टे लड़ाकों को उत्तरी इलाके में उनके गढ़ों से खदेड़ना शुरू कर दिया था...और अब लिट्टे छापामार वानी के जंगल की एक छोटी सी पट्टी में सिमट कर रह गये हैं. राष्ट्र संघ के एक अनुमान के अनुसार करीब 1 लाख नागरिक इस समय दोनों पक्षों के बीच बने "सुरक्षित क्षेत्र" में फंसे हुये हैं. राष्ट्र संघ के अनुसार श्रीलंकाई सेना इस क्षेत्र पर तोपों से गोले बरसा रही है...और लिट्टे छापामार भी जवाबी हमले कर रहे हैं. न्यूयॉर्क स्थित मानवाधिकारवादी दल ह्यूमन राइट्स वौच के अनुसार ये "सुरक्षित क्षेत्र" श्रीलंकाई नागरिकों और लिट्टे के बचे हुये लड़ाकों से इतना भरा हुआ है कि किसी भी तरह की गोलीबारी से लोगों का हताहत होना अवश्यम्भावी है. संगठन के एशिया निदेशक ब्रैड एडम्स कहते हैं कि ये तथाकथित "सुरक्षित क्षेत्र" इस समय दुनिया का सबसे खतरनाक इलाका है.
इस महीने की 9 और 13 तारीख को संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्रालय और टोक्यो को-चेयर्स के बीच फोन के जरिये वानी के हालात पर चर्चा हुई. श्रीलंका की सहायता के लिये गठित टोक्यो चेयर्स में जापान, यूरोपीय संघ, नॉर्वे और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे दानदाता देश सम्मिलित हैं. संगठन ने श्रीलंका सरकार और लिट्टे दोनों से ही सुरक्षित क्षेत्र का सम्मान करने को कहा और 12 अप्रैल को श्रीलंका सरकार की 48 घंटे तक "मानवीय आधार" पर गोलीबारी रोकने की घोषणा का स्वागत किया. संगठन ने दोनों पक्षों से इस क्षेत्र में खाद्य पदार्थों और दवाइयों की आपूर्ति बहाल करने...और घायल और बीमार लोगों को बाहर निकालने के लिये सुरक्षित रास्ता देने को कहा.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने युद्धरत पक्षों से नागरिकों की सुरक्षा के लिये सभी आवश्यक कदम उठाने को कहा है. मार्च में ही विदेश मंत्रालय के सहायक प्रवक्ता गॉर्डन डुगॉइड ने कहा था “आंतरिक विस्थापित यदि युद्ध क्षेत्र छोड़ना चाहें तो उन्हें युद्ध क्षेत्र छोड़ने की अनुमति होनी चाहिये और दोनों ही पक्षों को इसमें उनकी मदद करनी चाहिये. हम दोनों ही पक्षों से गैर सैनिकों के अधिकारों का सम्मान करने और मानवीय मदद को जरूरतमंदों तक बेरोक-टोक जाने देने की अपील करते हैं."