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U.S. State Department Undersecretary Paula Dobriansky |
डॉ. पौला डोब्रियान्स्की लोकतंत्र और वैश्विक मामलों के लिए अमेरिकी विदेश अवर सचिव
हैं । उन्होंने कहा है कि स्वच्छ विकास और पर्यावरण पर एशिया-प्रशांत भागीदारी या
एपीपी ठीक उसी तरह की रचनात्मकता और प्रगतिशीलता का प्रतिनिधित्व करती है, जिसकी
हमें पर्यावरण परिवर्तन से संघर्ष करने के लिए जरूरत है । एपीपी की एक ब्रीफिंग
में बोलते हुए डॉ. डोब्रियान्स्की ने कहा कि एपीपी का गठन जितने अल्प समय में किया
गया था, उसे देखते हुए उसने हमारी उन अपेक्षाओं को पूरा करने और उनसे आगे बढ़ने का
ट्रैक रिकॉर्ड स्थापित किया है, जो हमें 2005 में थीं ।
जुलाई, 2005 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने
घोषणा की थी कि स्वच्छ विकास और पर्यावरण पर एशिया-प्रशांत भागीदारी का गठन करने
के लिए अमेरिका ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान और कोरिया गणराज्य का साथ देगा ।
कनाडा इस भागीदारी में अक्टूबर, 2007 में शामिल हुआ ।
यह भागीदारी स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों के विकास और उपयोग
को इन देशों के बीच स्वैच्छिक सरकारी-निजी भागीदारी के जरिये बढ़ाने का प्रयास है
। सहयोगी देश साथ मिलकर काम करने और ऊर्जा सुरक्षा, राष्ट्रीय वायु प्रदूषण कम
करने तथा पर्यावरण परिवर्तन में अपने निजी क्षेत्रों के साथ मिलकर इस तरह काम करने
पर सहमत हो गए हैं, जिससे टिकाऊ आर्थिक विकास और गरीबी कम करने को प्रोत्साहन मिले
। संगठित होने पर सहयोगी देशों की आबादी, अर्थव्यवस्था और ऊर्जा उपभोग विश्व में
आधे से भी अधिक है ।
एशिया-प्रशांत भागीदारी अपने उद्देश्यों को 8
क्षेत्र आधारित कार्यदलों के जरिये पूरा करने की कोशिश करती है और कुल मिलाकर आठ
कार्यदलों की 120 से ज्यादा परियोजनाओं की पुष्टि की गई है । अब तक अमेरिका ने
एपीपी परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए 7 करोड़ डॉलर देने का वायदा किया है ।
विदेश मंत्रालय में अमेरिकी एपीपी कार्यक्रम कार्यालय वित्तीय वर्ष 2009 के लिए
5.2 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त अनुदान देने का अनुरोध करेगा ।
अवर सचिव डोब्रियान्स्की ने कहा कि एपीपी की
परियोजनाएं कल्पनाशीलता को प्रेरित करती हैं । उदाहरण के लिए, एपीपी भारत के
महाराष्ट्र राज्य को 5,000 मेगावॉट की बिजली की कमी को पूरा करने में मदद देने के
लिए उसके और कैलीफोर्निया राज्य के बीच भागीदारी स्थापित कर रहा है । दो अमेरिकी
उद्योग- अमेरिकन इलेक्ट्रिक पॉवर और सदर्न कंपनी चीनी बिजली उत्पादकों के साथ
मिलकर काम कर रहे हैं ताकि वे कार्य क्षमता और कम प्रदूषण के अमेरिकी स्तरों के
करीब आ सकें ।
डॉ. डोब्रियान्स्की ने कहा कि एशिया-प्रशांत
भागीदारी के जरिये नीति-निर्माता और क्रियान्वयन करने वाले लोग यथार्थवादी और
व्यावहारिक समाधान तलाश करते हैं, जिनका उद्देश्य सहयोगियों की राजनीतिक
प्रतिबद्धता को ठोस नतीजों में बदलना होता है ।