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मुंबई हमलों के सबक
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By निहारिका आचार्या
05/12/2008
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| Indian Army soldiers arrive in Mumbai, 27 Nov 2008 | अमेरिकी जानकारों का मानना है की आने वाले वर्षों में आतंकवादी परमाणु और जैविक हथियारों का इस्तेमाल करने की कोशिश ज़रूर करेंगे, लेकिन आतंकवादी फिलहाल छोटे अस्त्रों से सामने से वार करना पसंद करते हैं और साथ ही परिष्कृत विस्फोठक यन्त्र यानी IED का इस्तेमाल भी. यह कहना है डेविड हेमन का जो Center for Strategic and International Studies में जानकार हैं.
वॉशिंगटन डी सी स्थित Potomac Institute for Policy Studies संस्था ने मुंबई हमलों पर एक गोष्ठी आयोजित की. हमलों की जांच जारी है और इस सिलसिले में पाकिस्तान से सहयोग की उम्मीद भारत ही नही, अमेरिका भी कर रहा है. जानकारों का मानना है की इस बार पाकिस्तान के पास मदद करने के एलावा और कोई चारा भी नही है.
मुंबई हमलों से अमेरिका ने भी अपनी सुरक्षा के बारे में कुछ सीखा. सेथ बेली अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय सलाहाकार हैं.
जानकारों ने यह भी कहा की चौकन्ने नागरिक देश को आतंकवादी हमलों से बचने में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं.
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