|
सन २००८- वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए संकट का वर्ष
|
By रोहित कुलकर्णी
01/01/2009
|
|
| A pedestrian is reflected on an electric market board in Tokyo, 24 Dec 2008
| दुनिया के कुछ देशों की सरकार द्वारा दी हुई मदद के बावजूद कई देशों में आर्थिक संकट बना हुआ है, और स्थिति में सुधार की संभावनाएं कम ही नज़र आ रही हैं.
वर्ष २००८ को वैश्विक अर्थव्यवस्था के सबसे बुरे वर्षों में गिना जाएगा. साल की शुरुआत में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में गिरावट साल के अंत तक बड़े आर्थिक संकट के रूप में उभर कर आई. अब दुनिया पर आर्थिक मंदी का साया छाया हुआ है.
इस साल की शुरुआत में जब विशेषज्ञ धीमी अर्थव्यवस्था की बात कर रहे थे, तब इस निरुत्साह से छुटकारा पाने के लिए अमेरिकी संसद ने टैक्स में छूट का प्रस्ताव पारित कर दिया था. लेकिन मार्च के महीने से ही वाल स्ट्रीट की बड़ी वित्तीय संस्थाओं और पूंजी निवेश बैंको में गडबडी होने के संकेत मिलने शुरू हो गए और देखते देखते जानी मानी वित्तीय संस्थाएं घाटे में चली गईं. पिछले कुछ सालों से तेजी से चल रहा अमेरिकी भवन निर्माण व्यवसाय अचानक डूबता हुआ नजर आया, मकानों के लिए दिया जाने वाला ऋण इसका प्रमुख कारण था. साथ ही मकान के लिए ऋण देने वाली सबसे बड़ी दो कंपनिया फ़ैनी मे और फ्रेडी मैक की हालत देखेते देखते बिगड़ गई. हाल में जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल नवम्बर के मुकाबले इस साल नवम्बर मे घरों की बिक्री करीब 10 प्रतिशत कम हुई, साथ ही घरों की कीमत में भी पिछले 40 सालों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई. और लगभग १० लाख लोगों को ऋण न चुकाने के कारण अपने घरों से हाथ धोना पड़ा.
| Subprime Mortgage Crisis in NY, house auction | वॉशिंगटन डी सी के ब्रूकिंग्स संस्थान के अर्थशास्त्री जेफ्री क्लिंग इस अर्थव्यवस्था की तुलना इमर्जेन्सी रूम के एक मरीज के साथ करते है. वो कहते है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अक्टूबर महीने में जबरदस्त झटका लगा था जिस के कारण अर्थव्यवस्था में पैसों का प्रचलन लगभग बंद हो गया. और जहां तक अर्थव्यवस्था की बात है, लोगों में इस कदर डर फैला हुआ है कि उसकी तुलना १९३० के समय की आर्थिक मंदी से की जा सकती है. | Traders work on the floor of the New York Stock Exchange, 1 Dec. 2008 |
अमेरिका में शुरू हुआ ये आर्थिक संकट जल्द ही यूरोप और एशिया में पहुंच गया. वहां के शेयर बाजारों, वित्तीय संस्थाओं, और बैंको को भी नुकसान का सामना करना पड़ा, तो कुछ बैंक्स डूब गए. विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी भी आर्थिक संकट के चपेट में आ गई. कुछ महीनो पहले जर्मन सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि देश पिछले पांच वर्षों में पहली बार औपचारिक तौर पर आर्थिक मंदी के दौर में आ चुका है, और सन २००८ की तीसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था आधा प्रतिशत कम विकास दर का शिकार हुई है. यह स्थिति लगातार दूसरी तिमाही में पेश आई है. | Auto Industry is in trouble
|
वहीँ अक्टूबर के महीने में अमेरिकी सरकार ने अमेरिकी वित्तीय संस्थाओं को बचाने के लिए ७०० अरब डॉलर के ऋण की घोषणा की. अमेरिकी कार उद्योग भी मंदी के चपेट में आ गया. २००८ में अमेरिका में कार की बिक्री में ३० प्रतिशत कटौती हुई. अमेरिका के तीन सबसे बड़े वाहन निर्माता जनरल मोटर्स, फोर्ड, और क्राइसलर को जुलाई महीने से कुल मिलाकर १० अरब डॉलर्स का नुकसान हुआ. जिस के बाद इन तीनो कार निर्माताओं ने सरकार से अरबो डॉलर के ऋण की मांग की थी. इस मांग को कुछ ही दिनों पहले मंजूरी दी गई है, अब सरकार जनरल मोटर्स और क्राइसलर को १३ अरब ४०० करोड़ डॉलर का आपातकालीन ऋण दे रही है. इन कंपनियों को चार करोड़ डॉलर का अतिरिक्त ऋण फरवरी में दिया जाएगा. साथ ही सरकार ने इन कंपनियों को चेतावनी दी है कि अपने व्यवसाय को बचाने और भविष्य की योजना बनाने के लिए उनके पास मार्च महीने के अंत तक का समय है. नही तो उन्हें दीवालियापन का सामना करना पड़ सकता है. कार उद्योग को बचाने के लिए सरकार द्वारा दिए जा रहे ऋण की शर्तों में से एक शर्त है कर्मचारियों के वेतन में कटौती करना और अधिशासियों के बढ़ते वेतन पर रोक लगाना.
वहीं जापान की टोयोटा मोटर कंपनी ने भी पहली बार नुक़्सान होने की भविष्य वाणी की. हाल में जारी एक वक्तव्य में कंपनी ने कहा कि मार्च 2009 में समाप्त होने वाले उसके वित्त वर्ष में उसका लाभ, जापानी येन के गिरते मूल्य और संपूर्ण विश्व में मोटर गाड़ियों की कम होती बिक्री के कारण कम हो गया है. दिसम्बर में दक्षिण कोरिया के प्रसिद्ध कार निर्माताओं ने भी घोषणा की, कि उन्होंने अपनी कारों की बिक्री के अनुमान में बारह प्रतिशत की कटौती कर दी है. | Holiday season sales sign |
अमेरिका के साथ साथ दुनिया के कई देशों में उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्य रिकार्ड स्तर तक गिर गए हैं. २००८ वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भुलाने योग्य साल होगा. और इस वर्ष अर्थव्यवस्था की बुरी हालत और दुनिया भर के देशों के सामने अपनी अर्थव्यवस्था से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए ये कहना मुश्किल है कि २००९ की शुरुआत में हम अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद कर सकते है.
|
|
|