निर्वाचित राष्ट्रपति ओबामा का पहला पत्रकार सम्मलेन
07/11/2008
President-elect Barack Obama leaves a meeting in Chicago.
अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा आज अपनी आर्थिक टीम के साथ शिकागो में बैठक कर रहे हैं और आज ही वह, चुनाव जीतने के बाद, अपना पहला पत्रकार सम्मलेन करेंगे.
श्री ओबामा की आर्थिक टीम में वर्तमान सरकार और पिछली सरकार के अधिकारिओं के इलावा वॉरेन बफफेट जैसे नामीगिरामी व्यापारी और पूंजीनिवेशक शामिल हैं. बैठक में भूतपूर्व वित्त मंत्री लौरंस सम्मर्स, संघीय रिज़र्व बैंक के भूतपूर्व अध्यक्ष पॉल वोल्कर भी भाग लेंगे जिन दोनों का नाम ओबामा प्रशासन में वित्त मंत्री पद के प्रत्याशिओं में शामिल माना जा रहा है. इस आशय की घोषणा जल्द ही कर दिये जाने कि प्रत्याशा है.
श्री ओबामा राष्ट्रपति पद का कार्यभार अगले दस सप्ताहों के बाद ग्रहण करेंगे. उनके प्रशासन को देश के समक्ष मौजूद सर्वाधिक गंभीर आर्थिंक संकट का सामना करना पड़ेगा.
निर्वाचित राष्ट्रपति ओबामा ने चीफ ऑफ़ स्टाफ पद के लिए RAHM EMANUEL को चुना है जिन्होंने यह पद कल स्वीकार कर लिया. वह भूतपूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के प्रशासन में काम कर चुके हैं.
इलिनॉय राज्य के डेमोक्रेटिक सेनेटर ओबामा अपने राष्ट्रपति पद की शपथ अगली २० जनवरी को लेंगे.
उधर जहाँ भारत में बहुत से लोगों ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद की होड़ में बराक ओबामा की विजय की खुशियाँ मनाई हैं, वहां भारत के टेक्नोलॉजी और आउटसोर्सिंग क्षेत्र से जुड़े लोग इस बात पर निगाह जमाये हुए हैं कि अमेरिका का नया प्रशासन अमेरिकी कम्पनिओं द्वारा भारत में की जा रही आउटसोर्सिंग में कटौती करने के लिए नीतियां लागू करेगा या नहीं. वोयस ऑफ़ अमेरिका की संवाददाता अंजना पसरीचा ने नई दिल्ली से अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, अमेरिका की कम्पनिओं द्वारा अपने बहुत से काम भारत की कम्पनिओं को सौंप दिया जाना बरक़रार रखे जाने के बारे में अनिश्चितता पैदा हो गयी है. अपने चुनाव अभियान के दौरान सेनेटर बराक ओबामा ने कहा था कि जो अमेरिकी कंपनियां अमेरिका में ही रोज़गार के अवसर पैदा करेंगी उन्हें वह प्रोत्साहन प्रदान करेंगे और जो अपना काम विदेशों में कराती हैं, उन्हें करों में छूट बंद कर दी जायगी.
परन्तु, भारत के वित्त मंत्री पी. चिदंबरम यह आशा करते हैं कि भारत के आउटसोर्सिंग उद्योग पर कोई विशेष बुरा असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि श्री ओबामा जब एक बार अपना पद संभल लेंगे, तो उन्हें अहसास हो जाएगा कि परस्पर जुड़े हुए विश्व में देशों को मिलकर काम करना पड़ता है. लेकिन, आउटसोर्सिंग उद्योग से जुड़े हुए लोगों में यह डर पैदा हो गया है कि आर्थिक संकट का शिकार बनी हुई बहुत सी अमेरिकी कंपनिया भारत जैसे देश को दिए जाने वाले काम में कटौती कर सकती हैं. यह काम बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा क्षेत्र में ज़्यादा दिया जाता है.
विश्व की ५०० सबसे बड़ी व्यापारिक कम्पनिओं में से लगभग ४०० भारत को अपना काम आउटसोर्स करती हैं. इनमें अधिकतर कंपनिया अमेरिकी हैं.