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सीनेटर ओबामा ने कहा, अमेरिका को अफगानिस्तान में खतरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए

21/07/2008

(संवाददाता, वी.ओ.ए न्यूज़)

Senator Barack Obama (l) meets with Afghanistan's President Hamid Karzai in Kabul, 20 Jul 2008
Senator Barack Obama (l) meets with Afghanistan's President Hamid Karzai in Kabul, 20 Jul 2008
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के संभावित डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बराक ओबामा ने आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी युद्ध में परिवर्तन करने की अपनी योजना के तहत अफगानिस्तान के लिए और अधिक सैनिक भेजने तथा ज्यादा अनुदान देने की मांग दोहराई । वॉशिंगटन से वी.ओ.ए संवाददाता माइकेल बोमेन ने खबर दी है कि सीनेटर ओबामा ने काबुल में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति से मिलने के बाद यह मांग की ।

श्री बराक ओबामा ने रविवार को अफगानिस्तान की दो-दिवसीय यात्रा पूरी की, जो उनकी लंबी यात्रा का पहला बड़ा पड़ाव था । वह इस्राइल, इराक, जोर्डन और यूरोप भी जा रहे हैं । काबुल से रवाना होने से पहले उन्होंने सीबीएस टेलीविजन नेटवर्क से बात की, जिसने अमेरिकी घरेलू कार्यक्रम "फेस द नेशन" में यह इंटरव्यू प्रसारित किया ।

श्री ओबामा ने कहा कि राष्ट्रपति हामिद करज़ई की सरकार को अफगानिस्तान में आतंकवादी तत्वों से सामना करने के लिए ज्यादा कदम उठाने चाहिए पर उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए ।

"अफगानिस्तान में स्थिति नाजुक और गंभीर है और मेरे विचार में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में इस पर हमें ध्यान केंद्रित करना चाहिए ।"

इलिनॉय के सीनेटर राष्ट्रपति बुश द्वारा 2003 में इराक पर हमला करने के फैसले के कटु आलोचक रहे हैं और उन्होंने कहा है कि अमेरिका को वास्तविक आतंकवादी खतरे का सामना बगदाद में नहीं, बल्कि अफगानिस्तान में और पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों में करना है । 

"अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क इस क्षेत्र में केंद्रित है और मेरे विचार में अमेरिका ने 9-11 के बाद सामरिक रूप से सबसे बड़ी गलती यह की है कि यहां का काम पूरा करने में असफल रहा । हम इराक के कारण भटक गए और अब हमें कुछ गलतियों को ठीक करने का मौका मिला है ।"

करज़ई सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि अफगान नेता के साथ एक निजी बैठक के दौरान श्री ओबामा ने अफगानिस्तान की सहायता करने और आतंकवाद के खिलाफ पूरी ताकत से युद्ध जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता जताई ।

सीबीएस को दिये इंटरव्यू में श्री ओबामा ने कहा कि राष्ट्रपति बनने पर वह अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या और अमेरिकी सहायता बढ़ा देंगे तथा पाकिस्तान के लिए भी सहायता बढ़ाएंगे ।

हाल के महीनों में अफगानिस्तान में तालिबान के फिर से उभरने की व्यापक खबरें आई हैं । परंतु फॉक्स न्यूज़ संडे में बोलते हुए जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष माइकेल मुलन ने अफगानिस्तान के तबाह होने के खतरे में होने की धारणा का खंडन किया ।

"मैं कहूंगा कि वहां प्रगति मिली-जुली है, लेकिन मुझे यह चिंता बिल्कुल नहीं है कि हम अफगानिस्तान में हार रहे हैं ।"

श्री ओबामा के आलोचक अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध करने के लिए उन्हें गलत नहीं मानते, परंतु कनेक्टिकट के स्वतंत्र डेमोक्रेटिक सीनेटर जॉसेफ लिबरमान ने, जो श्री ओबामा के रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी, सीनेटर जॉन मैककेन का समर्थन कर रहे हैं, कहा कि श्री ओबामा इराक से सैनिकों को हटाने का समयबद्ध कार्यक्रम बनाने की मांग करके गलती कर रहे हैं ।

"आप यह नहीं चुन सकते, जैसा कि सीनेटर ओबामा शायद सोचते हैं, कि इराक में हार जाएं ताकि आप अफगानिस्तान में जीत सकें । वास्तविकता यह है कि अगर हम इराक में हार जाते तो हम अफगानिस्तान में पराजितों की तरह जाते ।"

श्री लिबरमान फॉक्स न्यूज़ संडे पर बोल रहे थे ।

इस कार्यक्रम में इंडियाना के डेमोक्रेटिक सीनेटर ईवान बे भी शामिल थे, जो ओबामा समर्थक हैं । उन्होंने कहा कि श्री ओबामा ने साबित कर दिया है कि जब इराक का मामला हो तो उनका फैसला सही होता है । इससे अमेरिकियों को अफगानिस्तान के बारे में उनकी परिकल्पना के बारे में आश्वस्त होना चाहिए ।

"मेरे विचार में यह देखना महत्वपूर्ण है कि इन सब मुद्दों के बारे में बराक ओबामा का फैसला शुरू से ही बहुत अच्छा रहा है, ऐसा फैसला जिसकी अपेक्षा एक कमांडर-इन-चीफ से की जाती है और अन्य लोग उनकी राय स्वीकार करने लगे हैं । अगर श्री बराक का बस चलता तो हम इराक में सैनिकों की संख्या बढ़ाने या किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा नहीं कर रहे होते । हमने वह युद्ध शुरू ही नहीं किया होता ।"

श्री ओबामा ने कहा है कि इराक से सैनिकों को हटाने के लिए समय सीमा तय करने से उस देश के विभाजित नेतृत्व को दीर्घकालिक स्थिरता के लिए जरूरी राष्ट्रीय मेल-मिलाप कायम करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा । उन्होंने कहा है कि अमेरिका की सेना पर पहले से ही बहुत अधिक बोझ है और इराक में पूरी तरह तैनात रहते हुए वह अफगानिस्तान में विस्तारित अभियानों में भाग नहीं ले सकती ।

 

 

 

 

 

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