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Geeta Patel and Senain Kheshgi, co-directors of "Project Kashmir" |
पहली बार है कि अगले वर्ष से अमरीका के चालीस शहरों में दिखाई जाने वाली इस वर्ष की ट्रेवलिंग ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल फेस्टिवल की अधिकतर फिल्में महिलाओं द्वारा बनाईं गईं हैं. इसमें शामिल फ़िल्म-प्रोजेक्ट कश्मीर बनाई है दक्षिण एशियाई मूल के दो अमरीकी फ़िल्म निर्माताऔं ने , जिनमें से एक हिंदू और एक मुस्लिम हैं. पर उन्होंने अपनी मैत्री के बीज बोए भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित हिमालय के अशांत कश्मीर क्षेत्र पर जब वो वहां यात्रियों के रूप में पहुंचे थे.
प्रोजेक्ट कश्मीर, कश्मीर पर बने विवाद को देखने का एक प्रयास है सहनिर्देशक- सेनैन खेस्गी और गीता पटेल की आँखों से. दोनों अमरीका में पले बड़े हुए पर खेस्गी का परिवार पाकिस्तानी मुस्लिम है और गीता का परिवार भारतीय हिंदू. गीता पटेल कहती हैं- ' जब हमने इस फिल्म को बनाना शुरू किया तब हमारी इन पात्रों को लाने की कोई आकांशा नहीं थी हमारा प्रमुख लक्ष्य एक ऐसी फ़िल्म बनाना था जो हमारे समुदाय पर प्रभाव डाले और बुरी तरह से विभाजित हिदुओं और मुसलमानों के बीच संवाद आरंभ करे.' और अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने कुछ हज़ार डॉलर उधार लिए और जा पहुँचे उस कश्मीरी क्षेत्र में जहाँ मुस्लिम बहुल आबादी पर भारत का प्रशासन है. कश्मीर की वास्तविक समस्या को पड़ने या समझने से समझा नहीं जा सकता , कहतीं हैं गीता पटेल- 'आप किसी विवादित क्षेत्र को मात्र पड़ने या समाचारों पर नज़र रखने से पूरी तरह नहीं समझ सकते. हम तो कश्मीरी लोगों को समझना चाहते थे यानी वो कैसे रहते हैं, क्या चाहते हैं.'
और यहीं से आरंभ होता है प्रोजेक्ट कश्मीर का ताना बना , जिसमे शामिल हैं दो पत्रकार मित्र , एक हिंदू दूसरा पाकिस्तानी, जिनके परिवारों को दशकों पहले विवादों से घिरे कश्मीर को त्यागने को मजबूर होना पड़ता है. अचानक इन फ़िल्म निर्माताओं को लगा कि जैसे जैसे वो कश्मीरियों के नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे वो एक दूसरे से दूर होते जा रहे हैं. सेनैन खेश्गी ने कहा - ' हमने पाया कि हम कुछ बातों पर चर्चा नहीं करना चाह्ते थे क्योंकि अमरीकी होते हुए हम राजनीति के बारे में बात न कर केवल मित्र बने रह सकते थे.' जहाँ गीता कहतीं हैं- ' अचानक मुझे लगा कि सेनैन तो पाकिस्तानी है, सच पूछिए तो मैंने अपने को भारतीय विचारों से पहले से कहीं अधिक निकट पाया.'
वहीं सेनैन - ' अजीब बात है हमारी दोस्ती दोनों देशों के लिए एक लाक्षणिक जैसी बन गई थी पर अगर आपकी बातचीत बंद हो जाए तो आगे जायेंगे कैसे.' बहरहाल दोनों ने सोचा की अपने मतभेद भुलाये जायें ताकि फ़िल्म प्रोजेक्ट कश्मीर को अमरीका में दक्षिण एशियाइयों के बीच एक विवाद समाधान प्रयास की शुरुआत के रूप में देखा जा सके.
प्रोजेक्ट कश्मीर को अकेडमी अवार्ड विजेता रोस कौफ़्मैन द्वारा फिल्माया गया है.