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Dalai Lama during a program on meditation at Stanford University in California. |
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Dalai Lama
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तिब्बतियों के संघर्ष का लगभग आधी शताब्दी तक नेतृत्व करने के बाद दलाई लामा ने संकेत दिया है कि वह सेवानिवृत्ति की योजना बना रहे हैं । उन्होंने तिब्बत को अधिक स्वायत्तता देने के लिए चीन को मनाने का प्रयास छोड़ दिया है ।
तिब्बती धार्मिक नेता ने धर्मशाला में आयोजित एक समारोह में शनिवार को कहा- चीन से समझौता करने के लिए मैं लंबे से एक बीच का रास्ता निकालने के लिए गंभीरतापूर्वक काम कर रहा हूं, लेकिन चीनी पक्ष की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब हासिल नहीं हुआ है । उन्होंने ये बातें अपने और बीजिंग के दूतों के बीच तीसरे दौर की वार्ता के ठीक पहले कही हैं ।
निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष कर्मा च्योफेल के कार्यालय द्वारा मुहैया कराए गए तिब्बती भिक्षु के भाषण के अंशों के अनुसार, 73-वर्षीय नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले दलाई लामा ने कहा कि जहां तक मेरा संबंध है, मैंने अब इसे छोड़ दिया है ।
दलाई लामा ने कहा कि इस संवाद को आगे कैसे बढ़ाया जाए, वह तिब्बती नागरिक से इसका फैसला करने को कहेंगे ।
समारोह के दौरान श्री च्योफेल ने दलाई लामा के भाषण का अनुवाद करते हुए कहा कि इससे पहले वह (दलाई लामा) कहा करते थे कि वह अर्द्ध सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन अब उनका कहना है कि वह लगभग पूरी तरह सेवानिवृत्त हो चुके हैं । हाल ही में दलाई लामा का दिल्ली में गॉल ब्लाडर की ऑपरेशन हुआ है ।
आध्यात्मिक नेता के प्रवक्ता तेनज़िन तखला ने रविवार को एक भारतीय समाचार एजेंसी को बताया कि दलाई लामा ने समस्याग्रस्त तिब्बती मुद्दों के हल के लिए अन्य विकल्पों पर विचार-विमर्श के लिए मैक्लियोदगंज में तिब्बतियों की छह-दिवसीय विशेष बैठक बुलाई है, जो 17 नवंबर से शुरू होगी ।
चूंकि वर्ष 1951 और 1959 के बाद यह तीसरी बार है, जब इस तरह की बैठक बुलाई गई है । इससे इस बैठक के महत्व का पता चलता है ।
चीन की सत्ता के खिलाफ विफल विद्रोह के बाद दलाई लामा 1959 में भारत भाग आए ।