सरकार ने एयरलाइन उद्योग की सहायता योजना बनाने का संकेत दिया
16/10/2008
(वी.ओ.ए न्यूज़)
भारत के निजी एयरलाइन उद्योग ने बढ़ते हुए घाटे को देखते हुए सरकार से 4,750
करोड़ रुपये की सहायता देने की मांग की है और बुधवार को केंद्रीय नागरिक उड्डयन
मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने संकेत दिया कि वह मदद करने के पक्ष में हैं, लेकिन कुछ
अन्य मंत्रालयों की इस क्षेत्र के प्रति उदासीनता पर निराशा जताई ।
वायुयान के लिए ईंधन की बढ़ती कीमतों और वैश्विक आर्थिक संकट के चलते एयरलाइन
उद्योग को घाटे का सामना करना पड़ रहा है ।
श्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि ईंधन पर लगाए गए शुल्क और उड्डयन सेवाओं पर लगाए
जाने वाले शुल्कों में कटौती करके एयरलाइन उद्योग की मदद की जा सकती है । लेकिन
सरकार इस मामले में एक सरकारी आयोग की सिफारिशों का इंतजार कर रही है ।
नागरिक उड्डयन मंत्री ने एयरलाइन उद्योग के प्रति सहानुभूति जताते हुए
पत्रकारों को बताया कि दुनिया भर में समूचे उड्डयन उद्योग के लिए यह कठिन समय है ।
सरकार इस समस्या के प्रति संवेदनशील है । मैंने प्रधानमंत्री को इस स्थिति की
जानकारी दे दी थी, जिसके बाद एक समिति का गठन किया गया, लेकिन इसकी सिफारिशें आने
में कुछ समय लगेगा ।
निजी और सरकारी विमान सेवाएं पहले से ही ईंधन की ऊंची कीमतों का सामना कर रही
थीं, लेकिन अब वैश्विक आर्थिक संकट के कारण हवाई यात्रियों की संख्या में गिरावट
आने की समस्या से भी जूझ रही हैं ।
विमान सेवाओं ने इस समस्या से निपटने के लिए सरकार से 4,750 करोड़ रुपये का
सहायता पैकेज मांगा है ।
श्री पटेल ने आज हैदराबाद में कहा कि हम टैक्स में कटौती करके ईंधन पर खर्च कम
कर सकते हैं या तेल कंपनियों से विमान सेवा उद्योग के लिए बेस मूल्य में कटौती
करने को कह सकते हैं । कुछ समय के लिए अन्य प्रकार के शुल्कों में भी कटौती की जा
सकती है ।
परंतु वामपंथी पार्टियों ने सरकार द्वारा एयरलाइन उद्योग को सहायता पैकेज देने
की योजना का विरोध किया है । आज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम
येचुरी ने कहा कि निजी एयरलाइन उद्योग के सामने यह समस्या एक साल से भी ज्यादा समय
से है, लेकिन उसने इससे निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठाया । अब सरकार करदाताओं के
पैसे से निजी विमान सेवा उद्योग को उबारना चाहती है, जो अनुचित है ।