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मानवाधिकार एवं श्रीलंका में चल रहा संघर्ष
08/12/2007

A Sri Lankan Army soldier with bomb disposal unit arrives to check an ambulance for suspected explosives, in Colombo, 05 Dec 2007
A Sri Lankan Army soldier with bomb disposal unit arrives to check an ambulance for suspected explosives, in Colombo, 05 Dec 2007
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से लगभग 260 किमी उत्तर में एक भीड़ भरी बस पर हमले में कम-से-कम 15 लोग मारे गए और 38 अन्य घायल हो गए । श्रीलंका के अधिकारियों का कहना है कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलेम के सदस्यों ने इस हमले को अंजाम दिया । 

नवंबर महीने के अंत में किलिनोच्ची में सड़क किनारे हुए बम-विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 11 बच्चे थे । इसके अलावा कोलंबो में एक सरकारी कार्यालय व एक शॉपिंग मॉल पर बम हमले में 20 लोगों की मौत हो गई तथा 40 से अधिक लोग घायल हो गए थे ।

श्रीलंकाई सुरक्षा बलों ने इन घटनाओं के मामले में 2,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है । अधिकारियों ने बताया कि हिरासत में लिये गए लगभग 200 लोगों को छोड़ कर बाकी सबों को रिहा कर दिया गया है । लेकिन मानवाधिकार प्रेक्षकों ने कहा है कि अभी भी श्रीलंका के सुरक्षा बलों एवं तमिल टाइगर उग्रवादियों के हाथों आम नागरिक संकट झेल रहे हैं । ह्यूमन राइट्स वॉच के ब्रैड एडम्स ने कहा- तमिल टाइगर और श्रीलंका के सुरक्षा बल युद्ध के नियमों का खुला उल्लंघन कर रहे हैं । वे या तो नागरिकों को निशाना बना रहे हैं या नागरिकों और लडा़कुओं के बीच फर्क नहीं कर पा रहे ।

श्रीलंका में मानवाधिकार की स्थिति पर जारी एक ताजा रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि विश्वस्त सूत्रों ने सरकारी एजेंटों द्वारा गैरकानूनी हत्या, अज्ञात हमलावरों द्वारा बड़े लोगों की हत्या व सरकार से जुड़े अर्द्धसैनिक बलों और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलेम द्वारा राजनीतिक मंशा से की गई हत्याओं व लोगों के लापता होने की घटनाओं की जानकारी दी है । 

श्रीलंका में अमेरिका के राजदूत रॉबर्ड ब्लेक ने मानवाधिकार पर आयोजित एक सम्मेलन में श्रीलंका सेना के बटालियन कमांडरों को संबोधित किया । उन्होंने कहा कि तमिल टाइगर आतंकवादियों को रोकने की श्रीलंका सरकार की कोशिशों का अमेरिका समर्थन करता है । लेकिन आतंकवाद को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए मानवाधिकार का सम्मान करना भी जरूरी है । श्री ब्लेक ने कहा कि युद्ध में कभी-कभी सैनिक कानून के बाहर जाकर भी काम कर सकते हैं । महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे कानून और संस्थाएं हैं, जो इन मामलों की जांच कर सकते हैं और कानूनों को लांघने के इस तरह के मामलों पर समुचित कार्रवाई कर सकते हैं ।


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