VOANews.com

वॉयस ऑफ़ अमेरिका ▪ Hindiहमें पढ़ें, सब कुछ जानें

21 दिसंबर 2008 

वीओए में आज :

समाचार ४५ भाषाओं में
राष्ट्रसंघ ने नेपाल में लापता हुए व्यक्तियों की जांच का आह्वान किया 

21/12/2008

Sarmila Tripathi, 36, left, holds her missing husband's portrait, as she along with others stages a sit- in protest in Katmandu, Nepal (File)
Sarmila Tripathi, 36, left, holds her missing husband's portrait, as she along with others stages a sit- in protest in Katmandu, Nepal

 राष्ट्रसंघ ने नेपाल सरकार से आह्वान किया है कि वह वहां दिसंबर 2001 से लेकर जनवरी 2003 के वीच हुए विद्रोह के दौरान 170 लोगो के लापता होने की जांच करे । इस मामले की जांच के बाद राष्ट्रसंघ मानवाधिकार आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की है । इस बारे में जिनीवा स्थित वीओए की संवाददाता लीसा श्लाइन की रिपोर्टः

99 पन्नों की रिपोर्ट में सुरक्षा सैनिकों और नेपाली माओवादियों की कम्यूनिस्ट पार्टी द्वारा कथित अपहरणों की चर्चा की गई है । यह अपहरण नेपाल के बर्दिया क्षेत्र में सन 2001 से लेकर 2003 के बीच कम्यूनिस्ट पार्टी के विद्रोह के दौरान किए गए थे ।

रिपोर्ट में 170 में से 156 अपहरणों के लिए नेपाल के सुरक्षा सैनिकों को ज़िम्मेदार बताया गया है । उसमें कहा गया है कि अधिकतर लोग भूतपूर्व शाही नेपाली थल सेना द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के बाद लापता हुए । रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नेपाल की पुलिस और सशस्त्र पुलिस बल कहीं कम लोगों के लापता होने के लिए ज़िम्मेदार था ।

राष्ट्रसंघ मानवाधिकार आयोग के एक प्रवक्ता रूपर्ट कोलविल ने बताया कि माओवादियों ने चौदह लोगों का अपहरण किया था । उन्होंने कहा कि भूतपूर्व माओवादी विद्रोहियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने बारह व्यक्तियों की हत्या की थी ।

रेडक्रौस की अंतर्राष्ट्रीय समिति ने कहा है कि उसके विचार में संपूर्ण देश में अपहरण के बाद लगभग एक हज़ार लोग लापता हुए हैं ।

श्री कोलविल ने कहा कि मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त नवी पिल्लई ने नेपाल से आह्वान किया है कि वह ज़बरदस्ती लापता किए गए लोगों की जांच के लिए एक स्वतंत्र और विश्वसनीय आयोग की स्थापना करे ।

श्री कोलविल का कहना है कि हालांकि इन लोगों को लापता हुए कई वर्ष हो गए हैं, लेकिन जब तक इसका स्पष्टीकरण नहीं कर लिया जाता, उनके परिवार कष्ट झेलते रहेंगे ।

नेपाल के कम्यूनिस्ट विद्रोहियों के एक दशक पुराने विद्रोह में बर्दिया क्षेत्र कम्यूनिस्टों का एक गढ़ था ।  राष्ट्रसंघ की रिपोर्ट में कहा गया है कि माओवादियों ने जिन व्यक्तियों का अपहरण किया था उन्हें थल सेना को सूचनाएं देने वाले माना गया था । उसमें कहा गया है कि अधिकतर लोगों का अपहरण उनके घर से या उनके गांव के पास किया गया था ।


E-mail This Article यह आलेख ई मेल करें
Print This Article प्रिंट करने के पहले यहां देखें
  सबसे महत्वपूर्ण

  अन्य रिपोर्टें