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कश्मीर में नई राज्य सरकार
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07/01/2009
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| Indian policemen charge Kashmiri Muslim protesters with their batons during an anti-election protest in Koil, south of Srinagar | भारतीय कश्मीर में इस सप्ताह एक नई राज्य सरकार ने सत्ता संभाली है जिसने वहां लगभग दो दशकों से चली आ रही हिंसा के कारण पैदा हुई अस्थिरता और अशांति को समाप्त करने का वचन दिया है । लेकिन नई दिल्ली से अंजना पसरीचा की रिपोर्ट है कि भारत में मुसलमानों की प्रमुखता वाले उस एक मात्र राज्य में जिन समस्याओं के कारण सन 1989 में पृथकतावादी विद्रोह भड़क उठा था, उनका समाधान अभी भी नहीं हो सका है ।
सोमवार को जब अड़तीस वर्षीय ओमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में मुख्य मंत्री पद की शपथ ग्रहण की, उस समय संपूर्ण राज्य में आशा की लहर दौड़ गई ।
उनकी राष्ट्रीय सम्मेलन पार्टी, कश्मीर में प्रमुख भारत समर्थक पार्टियों में से एक है । ओमर अब्दुल्ला न केवल सम्मोहक राजनीतिज्ञ हैं, बल्कि वह उस राज्य के अब तक के सबसे युवा मुख्य मंत्री भी हैं । वह एक बहुत ही महत्वपूर्ण काल में परिवर्तन का वचन दे रहे हैं । वह स्वीकार करते हैं कि इस संकट ग्रस्त क्षेत्र में जनता का विश्वास प्राप्त करना बहुत ही कठिन है ।
भारत को आशा है कि हाल में हुए चुनाव परिणाम इस बात का संकेत हैं कि पृथकतावादी संघर्ष असफल हो रहा है और कश्मीर की जनता भारतीय प्रशासन को मान्यता देना चाहती है ।
राजनीतिक टीकाकार प्रेम शंकर झा का कहना है कि चुनावों में मतदाताओं का एक बड़ी संख्या में मतदान करना एक सफल क़दम बढ़ाए जाने का प्रतीक है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि कश्मीरी अभी भी अपने राजनीतिक भविष्य का निर्णय स्वयं करना चाहते हैं ।
पृथकतावादी नेता यह बात स्वीकार नहीं करते कि उनकी शक्ति कम होती जा रही है और चुनावों के बाद उनकी लोकप्रियता घटी है ।
कश्मीर के प्रमुख पृथकतावादी नेता सज्जाद लोन का कहना है कि जनता की राजनीतिक आकांक्षा अभी भी पूरी नहीं हुई है और पृथकतावादी पार्टियों का प्रभुत्व कम नहीं हुआ है ।
कश्मीर की नई राज्य सरकार मानती है कि पृथकतावादी नेताओं को मुख्य धारा में लाया जाना चाहिए और उसने उनके साथ वार्ताओं की आवश्यकता को रेखांकित किया है । राष्ट्रीय सम्मेलन पार्टी भारत समर्थक है, लेकिन वह कश्मीर की जनता के लिए और अधिक स्वायत्त्ता चाहती है ।
विश्लेषक प्रेम शंकर झा कहते हैं कि कश्मीर के नए नेता इस बात को समझते हैं लेकिन लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर संकट का तत्काल ही समाधान कठिन है क्योंकि क्षेत्र का भविष्य भारत और पाकिस्तान के समझौते पर निर्भर हैं क्योंकि दोनों ही देश उस क्षेत्र पर अपना अपना दावा करते हैं ।
लेकिन नवंबर में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमलों के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है, जिनके लिए भारत, पाकिस्तान को ज़िम्मेदार मान रहा है । और विश्लेषकों का कहना है कि जब तक संबंध नहीं सुधरते तब तक कश्मीर विवाद का समाधान नहीं हो सकता ।
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