अमेरिका ने दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट प्रकाशित की है । विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान सरकार धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर हनन करने वालों में से एक है । पिछले साल के दौरान ईरान की बेहद खराब स्थिति और खराब होती जा रही है । श्री जॉन हानफोर्ड, जो लार्ज फॉर इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम में अमेरिकी राजदूत हैं, ने इस स्थिति पर टिप्पणी की-
"ईरान में सरकार बहाई लोगों का दमन निर्ममतापूर्वक कर रही है और लगभग सभी गैर-शिया धार्मिक गुटों के लिए, जिनमें सूफी मुसलमान, कुछ ईसाई गुट और यहूदी समुदाय के सदस्य हैं, एक भयावह माहौल बना दिया गया है ।
ईरान में बहाई सबसे बड़ा गैर-मुस्लिम धार्मिक गुट है, जिसके 3 लाख से ज्यादा अनुयायी हैं । सरकार उन्हें काफिर मानती है और उन्हें अपने धर्म के बारे में शिक्षा देने और उसका पालन करने से रोका जाता है । उन्हें विश्वविद्यालय में पढ़ने और सरकारी नौकरी से भी वंचित रखा गया है । ईरानी बहाइयों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जाता है, जेल में डाला जाता है और उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाती है । कुछ बहाई लोगों का मानना है कि उनके समुदाय के अस्तित्व को खतरा है ।
ईरानी सरकार यहूदियों को धार्मिक अल्पसंख्यक मानती है । परंतु ईरानी सरकार सरकारी मीडिया में यहूदी-विरोधी विषैले प्रचार को बढ़ावा दे रही है और यहूदियों के खिलाफ शत्रुतापूर्ण माहौल बना रही है । उसने एक संगोष्ठी भी आयोजित की थी, जिसमें इससे इन्कार किया गया कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाज़ी जर्मनी में 60 लाख यूरोपीय यहूदियों का संहार किया गया था ।
ईरानी ईसाइयों, खासकर इवेंजेलिकल ईसाइयों को लगातार परेशान किया जाता है और उन पर नजर रखी जाती है । ईरान सरकार धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करती है । ईसाई चर्चों को बंद कर दिया गया है और धर्म परिवर्तन करके ईसाई बनने वालों को गिरफ्तार किया गया है । राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने कथित तौर पर ईरान में ईसाई धर्म के विकास को बंद करने के लिए कहा है ।
ईरान में सूफी मुसलमानों को भी दमन का सामना करना पड़ता है । सूफी मुसलमानों ने जानकारी दी है कि ईरान की खुफिया और सुरक्षा सेवाएं प्रमुख सूफी नेताओं को परेशान तथा प्रताड़ित करती हैं और उन्होंने कहा है कि सूफियों को अपना धर्म छोड़ने के लिए धमकियां दी गई हैं । सुन्नी मुसलमान भी, जो बड़े हिस्से में फैले हुए हैं, ईरान के जातीय अल्पसंख्यक गुट के सदस्य हैं । उन्होंने भी सरकार द्वारा भेदभाव किये जाने की जानकारी दी है । उन्होंने बताया कि तेहरान में उनकी मस्जिद नहीं है, जबकि वहां 10 लाख अनुयायी रहते हैं ।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है, "अमेरिकी सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ कठोर और दमनकारी बर्ताव करने के लिए ईरान सरकार के समक्ष अपनी कड़ी आपत्ति जताई है । अमेरिका ने ईरान के साथ द्विपक्षीय संबंध रखने वाले अन्य देशों से कहा है कि वे इन संबंधों का इस्तेमाल ईरान पर धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए दबाव डालने के लिए करें ।"