![Nepalese journalists protest against Maoist government, demanding it to stop attack on press freedom, in Katmandu, 22 Dec 2008 Nepalese journalists protest against Maoist government, demanding it to stop attack on press freedom, in Katmandu, 22 Dec 2008](https://webarchive.library.unt.edu/eot2008/20090110123423im_/http://www.voanews.com/hindi/images/ap_nepal_journalist_protest_23dec08_eng_1751.jpg) |
Nepalese journalists protest against Maoist government, demanding it to stop attack on press freedom, in Katmandu
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किसी भी स्वतंत्र समाज में प्रेस की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण होती है । यह सूचनाओं के प्रकाशन और विभिन्न समाचार माध्यमों में विभिन्न विचार अभिव्यक्त करने के अधिकारों की रक्षा करता है । यह सुनिश्चित कराने के लिए कि सरकार को जो कुछ करना चाहिए वह कर रही है, नागरिकों को सूचनाएं देना आवश्यक है । किसी देश का स्वतंत्र प्रेस जांच करने और सूचनाएं प्रदान करने का काम करता है । अगर नागरिक जो कुछ देख रहे हैं उसे पसंद नहीं करते तो वह किसी भी राजनीतिज्ञ को उसके पद से हटा सकते हैं और उसकी जगह उस राजनीतिज्ञ को दिलवा सकते हैं जिसके लिए वह समझते हैं कि वह उनसे बेहतर काम कर सकता है ।
नेपाल में इस वर्ष दस अप्रैल को हुए राष्ट्र व्यापी चुनावों में नेपाल की कम्यूनिस्ट पार्टी, माओवादियों ने संवैधानिक सभा की 575 में से 220 सीटों पर विजय प्राप्त की, जो किसी अन्य पार्टी को मिली सीटों की तुलना में सबसे अधिक थीं । कुछ लोगों का कहना है कि माओवादियों की इस आश्चर्यजनक विजय का प्रमुख कारण यह था कि नेपाल की जनता पहले की सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टियों से संतुष्ट नहीं थी । प्रेक्षकों ने माओवादियों के उग्रवाद त्याग कर एक राजनीतिक पार्टी का गठन करने की प्रशंसा की थी और शांति प्रक्रिया में उनकी भूमिका को सराहा था जिसके बाद चुनाव कराए जा सके ।
नेपाल में अंतरिम संविधान है जिसकी धारा 15 में प्रकाशन, प्रसारण और मुद्रण को सेंसर मुक्त रखा गया है । लेकिन पिछले कुछ महीनों से माओवादी संगठन, सरकार द्वारा लगातार जारी हिंसा और डराने धमकाने की कार्यवाहियों की आलोचना करने वाले समाचार माध्यमों के विरुद्ध अभियान चला रहे हैं । सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े श्रम संघों के सदस्यों ने समाचार पत्रों के वितरण को बाधित किया, समाचार पत्रों के कार्यालयों में तोड़ फोड़ की, कार्यालय के कर्मचारियों पर हमले किए और उन्हें मौत की धमकी दी । अभी हाल में अपने आपको माओवादी पार्टी का समर्थक कहने वाले लगभग पचास व्यक्तियों ने कई पत्रिकाओं के प्रकाशन कार्यालयों में ज़बरदस्ती प्रवेश किया । उन्होंने कार्यालय के अहाते में तोड़ फोड़ की, कर्मचारियों पर हमला किया और उन्हें धमकी देकर माओवाद विरोधी सामग्री का प्रकाशन न करने को कहा ।
इस हमले की पत्रकारों और मानवाधिकार दलों तथा अमरीका सहित विश्व के कई देशों की सरकारों ने निंदा की थी । एक लिखित वक्तव्य में काठमांडू स्थित अमरीकी दूतावास ने इस हमले को नेपाल में प्रेस की स्वतंत्रता पर खुला और अवैध हमला कहा । वक्तव्य में कहा गया है कि “किसी भी पार्टी या संगठन द्वारा नेपाल के समाचार माध्यमों पर नियंत्रण करने के प्रयासों या प्रेस की स्वतंत्रता को धमकी देने के लिए हिंसा के इस्तेमाल का कोई औचित्य नहीं है ।
अगर नेपाल की जनता एक लोकतांत्रिक सरकार का नेतृत्व चाहती है तो वहां के समाचार माध्यमों को स्वतंत्र और सेंसर रहित रहना चहिए । किसी एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं है ।