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President Bush |
वाशिंगटन में अपने एक भाषण में, पिछले आठ वर्षों में मध्यपूर्व में अमरीकी नीति की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति जौर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा कि पहले अमरीका उस क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देता था, अब वह स्वतंत्रता का समर्थन करता है । राष्ट्रपति बुश ने कहाः
“सोवियत संघ के पतन के साथ, अमरीका और क्षेत्र के अन्य देशों को हिंसात्मक धार्मिक अतिवाद से ख़तरा हो गया । दर्द भरे अनुभवों से यह स्पष्ट हो गया कि इस नए ख़तरे से निपटने के लिए स्थिरता को बढ़ावा देने वाली पुरानी नीति सही नहीं है और स्वतंत्रता की क़ीमत पर सुरक्षा प्राप्त करने के प्रयासों से दोनों में से कोई भी लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकेगा ।”
राष्ट्रपति बुश ने कहा मध्यपूर्व “स्वतंत्रता में भारी कमी” से ग्रस्त था, जहां नेता चुनने के लिए अधिकतर लोगों की आवाज़ें नहीं सुनी जाती थीं, और लोकतांत्रिक परिवर्तन के बारे में कोई जानता भी नहीं था ।
इस पृष्ठभूमि में आतंकवादी आंदोलन अपनी शक्ति और आकांक्षायें बढ़ा रहा था । श्री बुश ने कहा हिंसात्मक उग्रवादियों ने अमरीका को “तकलीफ़देह धक्के” दिए, शुरुआत हुई सन 1979 में ईरान के आयतोल्लाह अली ख़ोमेनई के समर्थकों द्वारा तेहरान के अमरीकी दूतावास पर क़ब्ज़े से, फिर 1983 में बेरूत के अमरीकी दूतावास और मरीन सैनिक बैरकों पर बम हमले, और उसके बाद ग्यारह सितंबर 2001 को अमरीका पर हुए अल क़ायदा के विध्वंसकारी हमले ।
श्री बुश ने कहा, इन वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए अमरीका ने अपनी नीतियों में परिवर्तन किए । पहले तो अतिवादी तंत्रों और उनके शरण स्थलों को नष्ट करने के प्रयास करके विदेशी आतंकवादियों के ख़िलाफ़ अभियान शुरू किया गया, दूसरे, अतिवादी तत्वों को प्रश्रय देने वाले प्रशासनों को स्पष्ट किया गया कि या तो वह आतंकवादियों और सामूहिक विनाश के अस्त्रों को प्राप्त करने के उनके प्रयासों को समर्थन देना बंद करें, या विश्व के सामूहिक प्रतिरोध का सामना करें, और तीसरे मध्य पूर्व में दमन और आतंकवाद के बदले स्वतंत्रता और लोकतंत्र को आगे बढ़ाने में सहायता की गई ।
श्री बुश ने कहा कि नीतियों में परिवर्तन सफल रहा । इराक़ में लोकतंत्र का उदय हुआ, लेबनौन, सीरिया के सैनिक आधिपत्य से मुक्त हुआ, बहरैन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश व्यापारिक क्षेत्रों के रूप में उभरे, ईरानी प्रशासन पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ा और अल क़ायदा किसी देश पर हावी नहीं हो सका ।
लेकिन अभी भी बहुत सी चुनौतियां सामने हैं, जिनमें इस्रायल और फ़िलिस्तीन का दो अलग राष्ट्रों के रूप में शांति से साथ साथ रहने का स्वप्न, ईरान को आतंकवाद को प्रश्रय देने और परमाणु अस्त्रों का विकास करने से रोकना, और मध्य पूर्व की जनता को दमन के शिकंजे से छुड़ाने में सहायता करना । श्री बुश का विश्वास है कि एक उज्जवल भविष्य सामने दिखाई दे रहा है जब काहिरा और रियाद से लेकर बग़दाद और बेरूत, तथा दमिश्क से लेकर तेहरान की जनता मुक्त और स्वतन्त्र समाजों में रहेगी, और संपूर्ण क्षेत्र के मुसलमान आतंकवादियों की कल्पना के खोखलेपन और उनके लक्ष्य के अन्याय को समझेंगे ।