विश्व भर के देशों के प्रतिनिधियों ने न्यूयॉर्क में
राष्ट्र संघ महासभा की अंतर-धार्मिक मुद्दों पर आयोजित पूर्ण बैठक में भाग लिया ।
सऊदी अरब की पहल पर आयोजित इस बैठक का उद्देश्य विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के
लोगों के बीच परस्पर समझ बढ़ाना था ।
राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने अपने भाषण में कहा कि बैठक
में भाग ले रहे लोग विभिन्न धर्मों का पालन करते हैं और विभिन्न स्थानों में पूजा
करते हैं, लेकिन उनके विश्वास उन्हें साझा मूल्यों तक ले जाते हैं, जिनमें जीवन की
गरिमा का सम्मान करना और हिंसा तथा हत्या को उचित ठहराने के लिए धर्म के दुरुपयोग
का विरोध करना शामिल है ।
श्री बुश ने कहा कि 60 वर्ष पहले, राष्ट्र संघ
महासभा के सदस्यों ने स्वीकार किया था कि सभी लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता और अपनी
इच्छानुसार पूजा करने का मौलिक अधिकार है । उन्होंने कहा कि महासभा ने सार्वभौमिक
मानवाधिकार घोषणापत्र को पारित करते हुए, जिसमें घोषित किया गया था कि हर व्यक्ति
को धर्म चुनने या बदलने और निजी रूप से या सार्वजनिक रूप से पूजा करने का अधिकार
है, इस अधिकार को मान्यता दी थी ।
राष्ट्रपति बुश ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता ने
अमेरिका के इतिहास में एक अनूठी भूमिका निभाई है- धार्मिक दंड से बचने का प्रयास
करने वाले लोगों द्वारा इसकी स्थापना से लेकर, इसके संविधान के पहले संशोधन में
धर्म का स्वतंत्र पालन का अधिकार देने तक, अन्य लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता की
रक्षा करने, यूरोप के यातना केंद्रों से लोगों को आजाद कराने से लेकर कोसोवो,
अफगानिस्तान और इराक जैसे देशों में मुसलमानों की रक्षा करने तक ।
श्री बुश ने कहा कि अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता
को अपनी विदेश नीति का केंद्रीय तत्व बनाकर इस परंपरा को जारी रखा है ।
"हम देशों को यह समझने के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि धार्मिक स्वतंत्रता एक
स्वतंत्र और आशावादी समाज की बुनियाद है । हम उन धार्मिक असंतुष्टों और
श्रद्धालुओं के साथ खड़े होने से डरते नहीं हैं, जो अपने धर्म का पालन करते हैं,
वहां भी जहां, इसका स्वागत न किया जाता हो ।"
श्री बुश ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता को सुरक्षित
करने का एक सर्वोत्तम तरीका लोकतंत्र को बढ़ाने में सहायता देना है, क्योंकि
लोकतंत्र में सभी पृष्ठभूमियों और सभी धर्मों के लोगों को स्थान दिया जाता है और
विभिन्न विचारों वाले लोगों को अपने मतभेदों पर चर्चा करने तथा सद्भावना के साथ
रहने की अनुमति दी जाती है ।
श्री बुश ने कहा कि राष्ट्रपति के तौर पर आठ वर्षों
के कार्यकाल में उन्होंने देखा है कि स्वतंत्रता और विश्वास किस तरह जीवन को ऊपर
उठा सकते हैं और विश्व को शांति की ओर ले जा सकते हैं । उन्होंने राष्ट्र संघ में
अंतर-धार्मिक संवाद में भाग ले रहे देशों की सराहना की । श्री बुश ने कहा कि संवाद
के जरिये हम उस दिन के करीब आ सकते हैं, जब स्वतंत्रता और शांति की हमारी
प्रार्थनाएं पूरी हो जाएंगी ।