श्रीलंका में अमेरिकी राजदूत रॉबर्ट ब्लेक ने 21 अक्तूबर को बट्टरमुल्ला,
श्रीलंका में एक युवा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीलंका का भाग्य अच्छा
है कि वह ऐसा देश हैं, जहां एचआईवी संक्रमण की दर कम है । परंतु उन्होंने कहा कि
इस रोग के मामले में बेफिक्र होने का यह कोई कारण नहीं है । उन्होंने कहा कि उच्च
जोखिम वाले आचरण की मौजूदगी, जिससे एचआईवी संक्रमण के फैलने में मदद मिलती है और
साथ ही अन्य सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक कारणों के होने, जिनसे
महामारी फैल सकती है, इसका अर्थ है कि इस देश में एचआईवी-एड्स के बहुत तेजी से फैलने
की संभावना बनी हुई है ।
राजदूत ब्लेक ने कहा कि सौभाग्य से श्रीलंका की सरकार एचआईवी-एड्स के मामले को
गंभीरता से लेती है और इसे उच्च प्राथमिकता देती है । इसके साथ ही सरकार मानती है
कि उसके पास यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह रोग यहां उतनी तेजी से न फैले, जैसे
कि विश्व में अन्यत्र फैला है, परीक्षण की सभी आवश्यक सुविधाएं, सेवाएं और
जन-शिक्षा देने के लिए अपर्याप्त संसाधन और क्षमता है ।
2006 के मध्य में, अमेरिकी सरकार ने यूएसएड या अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास
एजेंसी के जरिये 18 महीने की 650 हजार डॉलर की पहल से श्रीलंका के प्रयासों में
मदद दी थी, जिसका उद्देश्य एक आम महामारी रोकने में मदद करने के लिए सबसे ज्यादा
जोखिम वाली आबादियों के बीच एचआईवी संक्रमण के नए मामलों को कम करना था । अमेरिका
ने स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों को एचआईवी-एड्स की रोकथाम के लिए अपनी संस्थागत और
तकनीकी क्षमता के निर्माण के लिए छोटे अनुदान मुहैया कराए थे । अमेरिकी अनुदानों
के तहत ये संगठन पूरे देश में प्रशिक्षण कार्यक्रम, साथी शिक्षा कार्यक्रम,
नुक्कड़ नाटक, कोंडोम को प्रोत्साहन, परामर्श सेवाएं देने, पोस्टर, पर्चे और सूचना
पट लगाने का काम कर रहे हैं । अमेरिकी अनुदानों से एचआईवी-एड्स सेवाओं में तकनीकी
सहायता के लिए पैसा जुटाने में भी मदद मिली ।
विश्व स्तर पर, वैश्विक एचआईवी-एड्स का सामना करने के लिए राष्ट्रपति जॉर्ज
डब्ल्यू बुश की 2003 में शुरू की गई आपात्कालीन एड्स राहत योजना किसी भी देश
द्वारा मानव इतिहास में किसी एक बीमारी से लड़ने के लिए सबसे बड़ी प्रतिबद्धता है
। जुलाई, 2008 में राष्ट्रपति ने एक नए कानून पर हस्ताक्षर किये थे, जिससे इस
लड़ाई में अमेरिका की वित्तीय प्रतिबद्धता नाटकीय रूप से बढ़ गई- अगले पांच वर्षों
के दौरान वैश्विक एचआईवी-एड्स, तपेदिक और मलेरिया से लड़ने के लिए 48 अरब डॉलर
देने का अधिकार दिया गया । इस कानून से कम-से-कम 30 लाख लोगों के इलाज में सहायता
मिलेगी, 1.2 करोड़ नए संक्रमणों की रोकथाम होगी और 1.2 करोड़ लोगों की देखभाल हो
सकेगी, जिनमें 50 लाख अनाथ और प्रभावित होने लायक बच्चे शामिल हैं ।
राजदूत ब्लेक ने कहा कि एचआईवी-एड्स एक भयानक खतरा है, लेकिन सही जानकारी,
एहतियात और इलाज से इसे रोका जा सकता है ।