President Bush gestures while making remarks at the White House Summit on International Development, in Washington
हाल के आर्थिक उथल - पुथल के कारण अमेरिकी सरकार ने कई नीतिगत कदम उठाए हैं । ये कदम ठोस और व्यापक हैं , लेकिन बुश प्रशासन ने अंतर्राष्ट्रीय विकास सहायता में कटौती करने के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया है ।
अमेरिका दुनिया के गरीबों की मदद करने और उन देशों का समर्थन करने को प्रतिबद्ध है , जो अपनी जनता की बेहतरी को बढ़ावा देने के लिए सही विकल्पों का चयन कर रहे हैं । इसी तरह , अमेरिका इसमें विश्वास रखता है कि दानदाता देशों द्वारा अपने सहायता प्रयास में कटौती करना या उसे बंद करना एक गंभीर भूल होगी । खासकर उन विकासशील देशों को दी जाने वाली मदद में कटौती एक बड़ी भूल होगी , जो भारी वैश्विक मंदी के कारण कई समस्याओं का भी सामना कर रहे हैं ।
राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 500 से अधिक विदेशी अधिकारियों , सहायताकर्मियों और 21 अक्तूबर , 2008 को व्हाइट हाउस में हुई विकास शीर्ष बैठक में शामिल अन्य लोगों को संबोधित करते हुए कहा - अमेरिका प्रतिबद्ध है और अमेरिका को बाजार के उतार - चढ़ावों की परवाह न करते हुए प्रतिबद्ध बने रहना चाहिए । उसे अंतर्राष्ट्रीय विकास के प्रति उन कारणों से प्रतिबद्ध रहना चाहिए , जो उथल - पुथल के बाद भी सही हैं । उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय विकास को बढ़ाने से मदद लेने वाले देश ही लाभान्वित नहीं होते , बल्कि अमेरिका के सुरक्षा एवं आर्थिक हित भी पूरे होते हैं । उन्होंने अगले महीने होने वाले चुनावों में चुने जाने वाले राष्ट्रपति से उनकी प्रतिबद्धता को जारी रखने की अपील की ।
अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस ने यह चिंता जाहिर की । दुनिया के गरीबों के प्रति वचनबद्धता से पीछे हटने के लिए कठोर आर्थिक कदम का बहाना नहीं बनाया जा सकता ।
वर्ष 2000 से ही अमेरिका ने लातिन अमेरिका के देशों को दी जाने वाली विकास सहायता को दोगुना कर दिया है । सब सहारा अफ्रीका की सहायता को चार गुना और पूरी दुनिया में दी जा रही सहायता को दोगुना कर दिया गया है ।
अमेरिका ने अपनी विकास सहायता राशि में ही वृद्धि नहीं की है , बल्कि उसको प्रभावी बनाने की दिशा में भी काम किया है । एचआईवी - एड्स और मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन जैसी परियोजनाओं के लिए राष्ट्रपति बुश की पहल में उन देशों को सहायता देने का लक्ष्य तय किया गया है , जो लोकतंत्र और मुक्त बाजार को अपनाने , भ्रष्टाचार से लड़ने और शिक्षा व स्वास्थ्य में निवेश करने को तैयार हैं ।