Indian FM Mukherjee (left) signs nuclear accord with Secretary Rice, 10 Oct 2008
अमेरिका और भारत के बीच हुए नए समझौते के तहत अमेरिकी उद्योग अंतर्राष्ट्रीय
परमाणु ऊर्जा के दिशा-निर्देशों के तहत भारत के नागरिक परमाणु संयंत्रों के लिए
परमाणु ईंधन और प्रौद्योगिकी बेच सकेंगे ।
अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस ने कहा कि यह समझौता हमारे संबंधों में
आए बदलाव को दर्शाता है और वैश्विक मंच पर भारत के उभार को मान्यता देता है ।
सुश्री राइस ने कहा कि बातचीत की प्रक्रिया के दौरान कई बार मुश्किलें आईं,
लेकिन ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि यह एक ऐतिहासिक समझौता और ऐतिहासिक उपलब्धि है,
जिसके लिए हम सबने दृढ़ता से काम किया और अमेरिका अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन
करेगा ।
यह समझौता विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और उभरती हुई आर्थिक शक्ति, भारत के
साथ अमेरिका की बढ़ती हुई भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा । इसके बदले परमाणु
समझौते से भारत की एक अरब से अधिक आबादी को पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल तरीके से
अपनी बढ़ती हुई ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी ।
विदेश मंत्री राइस ने जोर देकर कहा कि अमेरिका-भारत परमाणु समझौते से वैश्विक
अप्रसार प्रयासों को भी मदद मिलेगी । उन्होंने कहा कि यह समझौता अंतर्राष्ट्रीय
प्रणाली के फायदों और इसे बनाए रखने, मजबूत बनाने और इसकी रक्षा करने की
जिम्मेदारियों और बोझ को बाँटने की एक साझा प्रतिबद्धता दर्शाता है ।