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फिल्मों पर ईरानी प्रशासन का नियंत्रण
27/08/2008

 

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ईरान के अधिकारियों ने वहां की एक अभिनेत्री गोलशिफ्टेह फराहनी के देश से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है । बताया जाता है कि 25 वर्षीय अभिनेत्री लॉस एंजिल्स में हॉलीवुड एजेंटों एवं फिल्म निर्देशकों से मिलने जा रही थी, लेकिन ईरानी अधिकाऱियों ने उन्हें रोक लिया । सुश्री फराहनी हाल ही में बॉडी ऑफ लाइज नामक फिल्म में आई हैं । माना जा रहा है कि इसी फिल्म में उनकी भूमिका ने ईरान के प्रशासन को नाराज कर दिया है । ईरानी न्यूज एजेंसी के अनुसार, फिल्म में भूमिका के लिए अभिनेत्री ने प्रशासन से इजाजत नहीं ली थी । किसी हॉलीवुड फिल्म में किरदार निभाने वाली वह पहली ईरानी अभिनेत्री है । 

ईरानी अभिनेत्री फराहनी वहां की पहली फिल्म अदाकारा नहीं हैं जिन्हें प्रशासन ने विदेश जाने से रोका है । वर्ष 2007 में 27 फरवरी को अधिकारियों ने फ्रेंच- ईरानी फिल्म निर्माता मेहरनुश सोहलुकी को यह कहते हुए गिरफ्तार कर लिया कि उनकी प्रशासन के खिलाफ दुष्प्रचार की मंशा है । सुश्री सोहलुकी ईरान के कुछ धार्मिक अल्पसंख्यकों के मृतकों को दफन करने के चलन पर फिल्म के लिए शोध कर रही थीं कि उन्हें तेहरान के बाहर एक सामूहिक कब्रिस्तान मिला । बताया जाता है कि इस कब्र में वर्ष 1988 में प्रशासन द्वारा मारे गए हजारों राजनीतिक कैदियों के शव दफन हैं । नवंबर 2007 में उनके खिलाफ अदालती कार्रवाई शुरू  हुई । ए्विन जेल में एक महीने रखे जाने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया । लेकिन उन्हें देश से बाहर जाने से रोक लिया गया ।

ईरान पर अपनी मानवाधिकार रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2007 के दौरान तेहरान शासन घरेलू फिल्मों को सेंसर करने में पूरी तरह से सफल रहा । इसकी वजह यह रही कि फिल्म के निर्माण के प्रमुख रूप से शासन से फंडिंग मिलती है । प्रोड्यूसरों को फंडिंग की स्वीकृति के लिए पहले ही प्रशासन के सामने फिल्म के स्क्रिप्ट एवं प्रस्ताव पेश करने होते हैं । वर्ष 2005 में राष्ट्रपति अहमेदीनेजाद के पद पर आसीन होने के बाद सुप्रीम क्लचरल रिवॉल्यूशन काउंसिल ने फिल्मों के प्रचार प्रसार पर रोक लगी दी थी । काउंसिल के अनुसार फिल्में धर्मनिरपेक्षता, अनैतिक व्यवहारों, महिला अधिकार, नशे के सेवन, हिंसा व शराब पीने की आदत को बढ़ावा देने वाली होती हैं । कुछ घरेलू निर्देशकों की फिल्मों को देश में दिखाने की इजाजत नहीं दी गई ।

ईरान में फिल्में स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अकेला माध्यम नहीं हैं जिनका दमन किया जाता है । सरकार शैक्षणिक आजादी पर खासी बंदिशें लगाती हैं, संगीत सहित सांस्कृतिक समारोहों को सेंसर करती हैं एवं पत्रकारों को दमन, जुर्माना, यातना व जेल की सजा से गुजरना पड़ता है । ईरान के संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का प्रावधान है लेकिन, जैसा कि फहराहनी के मामले में हुआ, ईरानी अधिकारी आम तौर पर व्यवहार में आजादी से लोगों को वंचित करते हैं ।


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