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ईरान में एक महिलाधिकार कार्यकर्ता को सजा
27/08/2008

 

Iran's President Mahmoud Ahmadinejad, 07 Nov 2007
Iran's President Mahmoud Ahmadinejad
ईरान के पश्चिमी अज़रबैजान प्रांत में एक अपीलेट कोर्ट ने
कुर्दी महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली जैनेब बायाज़ीदी को चार साल की जेल की सजा की पुष्टि कर दी है । 26 वर्षीय बायाज़ीदी ने ईरानी महिलाओं के खिलाफ कानूनी भेदभाव समाप्त कराने के लिए सन् 2006 में 10 लाख हस्ताक्षर कराने के अभियान में शिरकत की थी ।

इस हस्ताक्षर अभियान का ईरान में मानवाधिकार के लिए काम करने वाली नोबेल शांति पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी ने समर्थन किया था । हस्ताक्षरों का ज्ञापन ईरानी संसद के नाम था, जिसमें अनेक सुधारों की मांग की गई थी । इनमें विवाह और तलाक में महिलाओं को समान अधिकार देने, महिलाओं द्वारा अपने बच्चों को अपनी नागरिकता के हस्तांतरण का अधिकार देने, महिलाओं को समान उत्तराधिकार पाने का अधिकार देने, अदालत में महिलाओं को पुरुषों के समान व्यवहार पाने का अधिकार देने और उन सब कानूनों में संशोधन करने की मांग शामिल है, जिनके तहत ईरान में महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है ।

जैनेब बायाज़ीदी ऐसी अकेली महिलाधिकार कार्यकर्ता नहीं है, जिन्हें ईरान प्रशासन ने हिरासत में लिया हुआ है । हाना आब्दी, जो मनोविज्ञान की छात्रा हैं, 4 नवंबर, 2007 को अपने दादा के साननदाज स्थित घर से पकड़ी गई थीं । तीन महीने तक ईरानी अधिकारियों ने उनको किसी से संपर्क नहीं करने दिया । इस साल जून में उन्हें पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई । इसके लिए उन्हें पूर्वी अजरबैजान प्रांत के जेरमी नामक छोटे से कस्बे में निर्वासन में रहना पड़ेगा । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों पर नज़र रखने वाले स्वतंत्र संगठन, एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि सुश्री आब्दी अंतरात्मा की आवाज़ उठाने के लिए कैद में रखी गई हैं । उन्होंने अभिव्यक्ति और एकजुटता प्रदर्शित करने के अपने अधिकार का शांतिपूर्ण इस्तेमाल किया, जिसके कारण उन्हें हिरासत में लिया गया और उनके खिलाफ जो आरोप लगाया गया, वह पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है ।

जुलाई में जारी की गई अपनी रिपोर्ट में, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ईरान के कुर्द अल्पसंख्यकों, विशेषकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, के खिलाफ ईरान प्रशासन द्वारा मानवाधिकार हनन किये जाने की ओर ध्यान आकर्षित किया था । इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरानी कुर्दी महिला को अपने अधिकारों को मनवाने में दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ता है । एक तो यह कि वह हाशिये पर धकेली गई एक जातीय अल्पसंख्यक समुदाय की सदस्य है, और दूसरे, एक पुरुष प्रधान समाज में एक महिला के रूप में उसे अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है । 

अमेरिका अपनी तरफ से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अनेक ईरानी लोगों द्वारा सभी ईरानियों के लिए, चाहे वे किसी भी जातीय समूह के हों, धर्म और लिंग के आधार पर कानून के समक्ष समान अधिकार पाने के प्रयासों का समर्थन करता है । वह चाहता है कि ईरानी जनता को अपने बुनियादी मानवाधिकारों का इस्तेमाल करने की पूरी छूट   हो । 


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