![A Kenyan policeman tries to put out the flames from burning tyres set on fire by opposition supporters in downtown Eldoret, Kenya, 18 Jan 2008 A Kenyan policeman tries to put out the flames from burning tyres set on fire by opposition supporters in downtown Eldoret, Kenya, 18 Jan 2008](https://webarchive.library.unt.edu/eot2008/20090110131443im_/http://www.voanews.com/hindi/images/ap_kenya_eldoret_190_18Jan08.jpg) |
Kenya Bombing
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10 वर्ष पहले पिछले हफ्ते अल-कायदा आतंकवादी नेटवर्क दुनिया के नक्शे पर तब धमाके के साथ उभरा था, जब उसने केन्या के नैरोबी और तन्ज़ानिया के दार एस सलाम स्थित अमेरिकी दूतावासों पर एक साथ हमले को अंजाम दिया था । उन बमों ने 200 से अधिक लोगों की जान ले ली थी । हालांकि ये हमले अमेरिका को निशाना बना कर किये गए थे, लेकिन इस संगठन ने मनमानी हत्या का जो अभियान चला रखा है, उसकी इस शुरुआत में अधिकतर भुक्तभोगी अफ्रीकी थे ।
गुरुवार को उन भुक्तभोगियों का सम्मान करने के लिए इन दोनों दूतावासों में समारोह आयोजित किये गए । यह समारोह वॉशिंगटन में भी आयोजित किया गया । राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इस मौके पर कहा कि वर्षगांठ से यह बात पुख्ता होती है कि आतंकवादियों का सामना करने की जरूरत है, उन्हें सजा देने के लिए सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने और ऐसे हमलों को फिर होने से रोकने की जरूरत है ।
याद कर ही दिल दहल जाता है कि वैसे खतरे वास्तविक और आसन्न हैं । इन हमलों को जिन लोगों ने अंजाम दिया, उनमें से एक को हाल में केन्या के मलिंदी में देखा गया । फज़ुल अब्दुल्ला मोहम्मद सोमालिया में अपने छिपने के स्थान को छोड़ कर इलाज के लिए कहीं चला गया और अब पूरी दुनिया में उसकी खोज हो रही है ।
केन्या, तन्ज़ानिया और अमेरिका में मिल-जुलकर काम करने की वजह से दूतावासों जैसे हमलों को रोका जा सका है । अन्य आतंकवादियों का सफाया करने और इस तरह की विनाशकारी कार्रवाई के कारकों को नष्ट करने के लिए पूरी दुनिया में कोशिश जरूरी है ।