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Alexander Solzhenitsyn (file photo) |
रूस के साहित्यिक दिग्गज लेखक अलेक्जेंडर सोलज़ेनित्सिन 89 वर्ष की उम्र में इस दुनिया से विदा हो गए । अपनी किताबों में उन्होंने दुनिया के सामने सोवियत साम्यवाद के दमन का भांडाफोड़ किया । वे अपने पीछे पत्नी और तीन बेटे छोड़ गए हैं ।
11 दिसंबर, 1918 को जन्मे श्री सोलज़ेनित्सिन का लालन-पालन रूसी कट्टरवादी आस्था के माहौल में हुआ । लेकिन जैसे ही वे किशोर अवस्था में आए, उन्होंने साम्यवाद को अपना लिया । जब नाज़ी जर्मनी ने 1941 में सोवियत संघ पर आक्रमण किया तो श्री सोलज़ेनित्सिन सेना में भर्ती हो गए । 1945 में सोवियत खुफिया पुलिस ने उन्हें सोवियत-विरोधी आंदोलन और दुष्प्रचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया । श्री सोलज़ेनित्सिन को आठ साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई । इसके अलावा उन्होंने सोवियत मध्य एशिया में तीन साल तक निर्वासन का जीवन जिया । इसी दौरान उन्होंने धीरे-धीरे मार्क्सवाद-लेनिनवाद से तौबा की और कट्टर ईसाईवाद में वापस आ गए ।
सोवियत नेता निकिता क्रुश्चेव के शासनकाल में श्री सोलज़ेनित्सिन को निर्वासन से मुक्ति मिली और अपने पहले उपन्यास वन डे इन दी लाइफ ऑफ इवान डेनीसोविच से ख्याति प्राप्त की । अपने निजी अनुभव के आधार पर उन्होंने इस किताब में सोवियत कारावास शिविर में एक कैदी के जीवन के एक दिन को चित्रित किया है । |
People line up to pay tribute to Alexander Solzhenitsyn, as he lays in state at the Russian Academy of Sciences in Moscow, 05 Aug 2008 |
श्री सोलज़ेनित्सिन ने बाद में दी गुलाग आर्कीपैलेगो पर काम शुरू किया । यह उपन्यास तीन खंड की एक किताब है, जिसमें सोवियत कारावास शिविरों का भांडाफोड़ किया गया है । उनकी लेखनी लगातार उन्हें साम्यवादी शासन के खिलाफ करती गई और अंततः 1974 में उन्हें देशनिकाला दे दिया गया । हालांकि दी गुलाग आर्कीपैलेगो नामक उनका उपन्यास सोवियत पतन के बाद तक रूस में प्रकाशित नहीं हुआ, लेकिन उसके अंश और उनकी प्रतियां वहां उपलब्ध थीं । सोवियत संघ में अमेरिका के पूर्व राजदूत और युद्धोत्तर अमेरिकी विदेश मंत्री के प्रणेता जॉर्ज एफ.केनन ने दी गुलाग को आधुनिक युग में किसी राजनीतिक शासन पर लगाए गए अब तक के सबसे बड़े और प्रभावी आरोप पत्र का दर्जा दिया है ।
अलेक्जेंडर सोलज़ेनित्सिन को 1970 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया, लेकिन 1974 में अपने निर्वासन के समाप्त होने के बाद तक वे इसे प्राप्त नहीं कर सके । उनकी अन्य पुस्तकों
में दी फर्स्ट सर्किल और कैंसर वॉर प्रमुख हैं । अमेरिका में रहने के दौरान उन्होंने रेड व्हील किताब पर अपना काम पूरा किया । यह किताब रूसी क्रांति पर लिखा गया ऐतिहासिक उपन्यास है ।
27 मार्च, 1994 को अलेक्जेंडर सोलज़ेनित्सिन अपनी मातृभूमि रूस लौटे, जहां उन्होंने लिखना जारी रखा । अनुभवों से भरे जीवन से गुजरे श्री सोलज़ेनित्सिन ने कहा था- धीरे-धीरे यह बात मेरी समझ में आई कि अच्छाई और बुराई को अलग करने वाली रेखा न तो सरकारों और न वर्गों के बीच से होकर गुजरती है । यह राजनीतिक पार्टियों के बीच से भी नहीं गुजरती । यह हर आदमी के दिल से होकर गुजरती है ।