|
A general view shows the reactor building of the Bushehr nuclear power plant, in southern Iran
|
ईरान को 14 जून को जर्मनी और राष्ट्र संघ सुरक्षा
परिषद के पांच सदस्यों द्वारा दिये गए प्रोत्साहनों के संशोधित प्रस्ताव में
आर्थिक और व्यापार लाभ तथा परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए तकनीकी और
वित्तीय सहायता शामिल है । फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, रूस और चीन ने ईरान
को अंतर्राष्ट्रीय मामलों में महत्वपूर्ण रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए समर्थन
देने और अन्य राजनीतिक फायदों के साथ ही अप्रसार, क्षेत्रीय सुरक्षा तथा स्थायीकरण
के मुद्दों पर संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने की पेशकश भी की है ।
ये लाभ ईरान द्वारा राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद के
प्रस्तावों का पालन करने की शर्त पर दिये जाएंगे, जिनके तहत ईरानी सरकार को अपनी
यूरेनियम संवर्धन से संबंधित और रीप्रोसेसिंग गतिविधियों को पुष्टि करने लायक ढंग
से स्थगित करना होगा । इन गतिविधियों से परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक
विखंडनीय सामग्री का उत्पादन किया जा सकता है । सुरक्षा परिषद ने अपनी स्थगन
मांगों का पालन करने से इन्कार किये जाने के कारण ईरान पर तीन प्रकार के प्रतिबंध
लगाए हैं ।
हालांकि ईरानी प्रशासन ने प्रोत्साहनों के संशोधित
प्रस्तावों पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन प्रारंभिक प्रतिक्रिया
उत्साहजनक नहीं है । जिस दिन यह पेशकश दी गई, ईरानी सरकार के प्रवक्ता गुलाम हुसैन
इलहाम ने कहा, "अगर उन प्रस्तावों में स्थगन शामिल है तो इस पर
बिलकुल भी चर्चा नहीं की जा सकती ।" इसके कुछ दिन बाद
ईरानी विदेश मंत्री अली रज़ा शेख अतर ने कहा, "हम
कई बार कह चुके हैं कि यूरेनियम संवर्धन ईरान की लाल रेखा है (इसे ईरान छोड़ नहीं
सकता) और हमें यह प्रौद्योगिकी जारी रखनी होगी ।"
अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा है कि ईरानी
सरकार को पेश किये गए प्रोत्साहनों के प्रस्ताव के साथ स्पष्ट संदेश है- आपके लिए
एक बेहतर अवसर है ।
"अगर आप अपने संवर्धन कार्यक्रमों को पुष्टि करने लायक ढंग से स्थगित करेंगे,
तो आप अपना अलगाव खत्म करेंगे और आपके लिए आगे जाने का रास्ता होगा । ईरानी प्रशासन
ने अब तक एक चुनाव किया है और यह ईरानी लोगों के लिए बुरा चुनाव है । ईरानी लोग
विश्व से अलग-थलग रहने के बजाय बेहतर पाने के योग्य हैं ।"
राष्ट्रपति बुश ने कहा, "हम चाहते हैं कि ईरानी लोग फलें-फूलें । यह उनकी सरकार है, जिसने उन्हें विश्व
में उनका उचित स्थान नहीं दिया है । आशा है कि ईरानी नेतृत्व उससे अलग रास्ता
अपनाएगा, जो उन्होंने पहले अपनाया था ।"