![During protest, women held up loaves of bread and empty oil canisters, protesting rising cost of food](https://webarchive.library.unt.edu/eot2008/20090110115751im_/http://www.voanews.com/hindi/images/Food_protest2_210.jpg) |
During protest, women held up loaves of bread and empty oil canisters, protesting rising cost of food |
पूरी दुनिया में खाद्य कीमतों में वृद्धि और तेजी से बढ़ती मांगों के बीच यह सराहना योग्य बात है कि दुनिया के नेता स्थानीय स्तर पर खाद्य आपूर्तियों को सुनिश्चित कर अपनी जनता की मदद कर रहे हैं । लेकिन उनसे यह गलती हो रही है कि उन्होंने खाद्य निर्यात पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है या ऐसे समय में बाजार से संबंधित वैसी बाधाएं खड़ी कर रहे हैं, जब पूरी दुनिया अपना पेट भरने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कारोबार पर अधिक-से-अधिक निर्भर रहने लगी है ।
राष्ट्र संघ के विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कहा है कि पिछले वर्ष में कुछ वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो जाने के बाद करीब 40 देशों ने उन चीजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है । अन्य देशों ने निर्यात शुल्क काफी बढ़ा दिया है या अपने उत्पादकों के मामले में ऐसे ही अन्य कदम उठाए हैं, जिससे विदेशों में उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बहुत अधिक हो गई हैं । इन उपभोक्ताओं में कई गरीब देश शामिल हैं ।
इस संकट से निबटने के लिए आपात्कालीन खाद्य सहायता के मद में अतिरिक्त 70 करोड़ डॉलर मुहैया कराने की अमेरिका की घोषणा के क्रम में राष्ट्रपति बुश ने बंदिशें लगाने वाले देशों से उन्हें उठाने का अनुरोध किया है । राष्ट्रपति बुश ने कहा- कुछ देश जरूरी खाद्य पदार्थों को बाजार में पहुंचने से रोक रहे हैं और मेरी उनसे यह अपील है कि उन बंदिशों को हटा लें ताकि जिन लोगों को भोजन मयस्सर नहीं हो पा रहा है, उनकी परेशानी कम करने में मदद मिले ।
कुछ देशों ने उनकी इस अपील को मान लिया है । नाइजीरिया ने उस एक सौ प्रतिशत शुल्क को स्थगित कर दिया है, जिसने विदेशी चावल की कीमत इतना बढ़ा दी थी कि वह उनके अनेकों लोगों के बूते के बाहर हो गई थी । थाईलैंड ने ओपेक तेल संगठन की तरह अनाज की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें तय करने के लिए चावल निर्यात करने वाले अन्य देशों के साथ मिलकर संगठन बनाने की योजना को मुल्तवी कर दिया है । इस तरह के कदमों के खिलाफ दिये जा रहे तर्क को रेखांकित करते हुए इस प्रस्तावित समूह के एक सदस्य म्यांमार की साल के मध्य में तैयार होने वाली चावल की सारी फसल नर्गिस तूफान की वजह से नष्ट हो गई है । अब इस बात के आसार हैं कि इस विनाशकारी तूफान से उबरते हुए उसे चावल के निर्यातों पर निर्भर करना पड़ेगा ।
लेकिन दुनिया के देशों को और अधिक करने की जरूरत है । दुनिया के विशाल खाद्य कारोबार में कुछ समय के लिए बाधाओं को कम कर या हटा कर वे चावल, गेहूं, अन्न और अन्य वस्तुओं को वहां पहुंचाने में मदद कर सकते हैं, जहां उनकी अभी जरूरत है । अंततः इससे खाद्य पदार्थ का उत्पादन बढ़ेगा, जिससे संरक्षित बाजारों से बाहर रखे गए अफ्रीका और अन्य क्षेत्र के किसान प्रतियोगिता में शामिल होने की बेहतर स्थिति में रहेंगे ।