इस महीने अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएड) ने पाकिस्तान की बलूचिस्तान प्रांतीय एसेंबली में एक मीडिया सेंटर का उद्घाटन किया । यह मीडिया सेंटर पत्रकारों को असेंबली की कार्रवाई के बारे में खबरें भेजने के लिए उन्हें वह तकनीक मुहैया कराता है, जिसकी उन्हें जरूरत होती है । यूएसएड-पाकिस्तान लोकतंत्र एवं प्रशासन कार्यालय के निदेशक माइकेल हिर्शिन ने कहा, "हमारा यह पक्का विश्वास है कि एक गतिशील लोकतंत्र को स्वतंत्र और जिम्मेदार मीडिया की जरूरत होती है ।" उन्होंने कहा, "लोगों को असेंबली के भीतर चल रही कार्रवाई के बारे में जनता को समय पर और सही सूचना देकर मीडिया लोगों को अपने प्रतिनिधियों के कार्य को समझने में मदद करता है ।"
यूएसएड के 78 लाख डॉलर के पाकिस्तान विधायिका सशक्तिकरण परियोजना के तहत मीडिया सेंटर में 16,000 डॉलर से ज्यादा की कम्प्यूटर सुविधाएं, इंटरनेट सेवा और फोटो कॉपिंग, प्रिंटिंग, फैक्सिंग और स्कैनिंग उपकरण लगाए गए हैं । इस परियोजना ने बलूचिस्तान असेंबली के सदस्यों को अपने मतदाताओं के लिए ज्यादा कारगर ढंग से काम करने में मदद करने के लिए इसी तरह का एक संसदीय सूचना तकनीक संसाधन केंद्र भी स्थापित किया है ।
पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत एन पेटर्सन ने कहा, "अमेरिका दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन करता है ।" उन्होंने कहा कि "एक स्वतंत्र प्रेस लोकतांत्रिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंग है ।" राजदूत पेटर्सन ने आपात्काल शासन के दौरान प्रेस स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी सरकार के सक्रिय समर्थन को याद किया । उन्होंने कहा, "इसके साथ ही पत्रकारों का यह दायित्व है कि वे इस स्वतंत्रता का इस्तेमाल पेशेवर और निष्ठा के उच्चतम मानदंडों के अनुसार करें ।"
मानवाधिकार पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ द्वारा 3 नवंबर, 2007 को लागू किये गए आपात्काल के दौरान मूल नागरिक स्वतंत्रताएं, जिनमें प्रेस की स्वतंत्रताएं भी शामिल थीं, निलंबित कर दी गई थीं । बाद में सरकार ने आपात्काल हटा दिया और सभी प्रसारकों की सार्वजनिक केबल तक पहुंच बहाल कर दी, लेकिन सरकार ने मीडिया से एक आचार संहिता पर दस्तखत कराए, जिसमें सरकार की आलोचना को निरुत्साहित किया गया था और खुद पर सेंसरशिप लागू करनी थी । पाकिस्तानी अधिकारी अब भी यह संहिता लागू कर रहे हैं ।
पाकिस्तानी पत्रकारों को हिंसक चरमपंथियों से खतरे बने हुए हैं । इस साल फरवरी में साप्ताहिक पत्रिका अकबर-ए-जहान के स्तम्भकार डॉ. चिश्ती मुजाहिद की क्वेटा में उनके घर के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी । बताया जाता है कि प्रतिबंधित विद्रोही गुट बलूच लिबरेशन आर्मी के प्रवक्ता ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली थी ।
पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तानी पत्रकारों के मूल मानवाधिकार-प्रेस की स्वतंत्रता का इस्तेमाल करने का समर्थन करते हैं । उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र प्रेस लोकतांत्रिक समाज की रीढ़ है ।