हर साल तीन मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, जिसकी स्थापना राष्ट्र संघ ने लोकतंत्रों को मजबूत बनाने और विकास को प्रोत्साहन देने में स्वतंत्र प्रेस की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की थी । संचार तकनीकों में हुई महत्वपूर्ण प्रगति, जैसे कि उपग्रह टेलीविज़न और इंटरनेट ने समाचारों और जानकारी के स्वतंत्र प्रवाह के लक्ष्य को आगे बढ़ाया है, जो एक स्वतंत्र समाज के लिए महत्वपूर्ण है । परंतु दुनिया के बहुत से हिस्सों में मीडिया स्वतंत्रता पर अब भी सरकारों द्वारा गंभीर प्रतिबंध लगाए जाते हैं, जो अपने कठोर कदमों और नीतियों की आलोचना को कुचलना चाहती हैं ।
वास्तव में, पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न राजनीतिक स्थितियों में प्रेस संगठनों ने प्रेस स्वतंत्रता में लगातार गिरावट आने के संकेतों की जानकारी दी है । हालांकि मध्य-पूर्व और उत्तर अफ्रीका में कुछ सुधार देखे गए हैं, लेकिन अन्यत्र आई गिरावट के मामले उनसे कहीं ज़्यादा है । और जब सरकारें आलोचनात्मक समाचारों को दबाने के लिए प्रेस को निशाना बनाती हैं, तो इतिहास गवाह है कि अन्य स्वतंत्रताओं पर भी जल्द ही प्रतिबंध लगा दिये जाते हैं ।
अधिकतर गिरावट उन क्षेत्रों में देखी जाती है, जहां संघर्ष और राजनीतिक संकट हो, जैसे कि मध्य एशिया और सब-सहारा अफ्रीका में । और क्यूबा और उत्तर कोरिया जैसी तानाशाह सरकारों में भी कोई सुधार नहीं हुआ है । सेंसरशिप की आशंका बनी रहती है और पत्रकारों को परेशान करने, गिरफ्तार करने और शारीरिक हिंसा की धमकियां दी जाती हैं इसलिए विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2008 को मनाने का कारण इतना बड़ा नहीं है, बल्कि यह अवसर बुनियादी मानवीय मूल्यों को लेकर निरंतर सजग रहने की जरूरत पर विचार करने का है । कुछ उन्नत लोकतंत्रों में भी प्रेस स्वचंत्रता पर हमले किये जा रहे हैं, जिससे पता चलता है कि कितनी आसानी से न केवल प्रेस के, बल्कि बहुत सारे मौलिक अधिकारों को छीना जा सकता है ।