![U.S. Representative Tom Lantos (file photo)](https://webarchive.library.unt.edu/eot2008/20090110121442im_/http://www.voanews.com/hindi/images/ap_us_congressman_tom_lantos_195_26Jun07.jpg) |
U.S. Representative Tom Lantos (file photo) |
अमेरिकी सांसद और जनसंहार की विडंबना में जीवित बच गए श्री टॉम लांटोस का हाल ही में 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया । कैलीफोर्निया के डेमोक्रेट सांसद श्री लांटोस सदन की विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं ।
कांग्रेस में करीब 27 वर्षों के अपने कार्यकाल के दौरान श्री लांटोस चीन, रूस, बर्मा और दारफूर जैसे स्थानों में मानवाधिकारों के प्रबल पक्षधर थे । वह जोर देकर कहते थे कि जिन देशों का मानवाधिकार रिकॉर्ड खराब है, उनके लिए राष्ट्र संघ मानवाधिकार आयोग में कोई स्थान नहीं है । वह बहुत मुखर थे । 2007 में जब याहू कम्पनी के कार्यकारी अधिकारी चीन सरकार द्वारा एक पत्रकार को जेल में डालने के मामले में अपनी भूमिका का बचाव करने के लिए सदन की विदेशी मामलों की समिति के सामने पेश हुए तो श्री लांटोस ने उनसे कहा, "हालांकि तकनीकी और आर्थिक रूप से आप महान हैं, लेकिन नैतिक रूप से बौने हैं ।"
1983 में कांग्रेशनल ह्यूमन राइट्स कॉकस के संस्थापक की हैसियत से श्री लांटोस जहां भी संभव होता था, एक और जनसंहार रोकने के लिए सरकारी दबाव का इस्तेमाल करने पर आमादा रहते थे । इसके लिए वह दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाज़ी जर्मनी द्वारा 60 लाख यूरोपीय यहूदियों की हत्या का उल्लेख करते थे ।
श्री लांटोस अक्सर स्वयं को "अपनी इच्छा से अमेरिकी" बताते थे । उनका जन्म बुडापेस्ट, हंगरी में यहूदी माता-पिता के यहां हुआ था और जब जर्मन नाज़ी सेना ने 1944 में हंगरी पर कब्जा किया था, तब वह 16 वर्ष के थे । नाज़ियों ने यूरोप के अन्य स्थानों के यहूदियों की तरह हंगरी में भी यहूदियों को गिरफ्तार कर लिया था और यातना शिविरों में भेज दिया था । श्री लांटोस एक श्रम शिविर से भाग कर जीवित बच गए थे । अंततः उन्होंने एक स्वीडिश राजनयिक राउल वॉलेनबर्ग, जिन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हजारों यहूदियों की जान बचाई थी, द्वारा स्थापित सुरक्षित गृह में शरण ली थी । युद्ध के बाद श्री लांटोस को पता चला कि उनके परिवार के ज्यादातर सदस्यों की मौत औश्विट्स के गैस चेम्बरों में हुई थी ।
श्री टॉम लांटोस 1947 में अर्थशास्त्र की शिक्षा ग्रहण करने अमेरिका आए थे और उन्होंने बर्कले में कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट प्राप्त की । अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले एक बयान में श्री लांटोस ने कहा था, "यह केवल अमेरिका में ही संभव है कि जनसंहार में जीवित बचे और नाज़ी-विरोधी भूमिगत और गरीब लड़ाकू को शिक्षा मिली, उसका परिवार बना और उसे अपने जीवन के अंतिम तीन दशक कांग्रेस के सदस्य के रूप में व्यतीत करने का सौभाग्य मिला ।"
राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने श्री लांटोस के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की । श्री बुश ने कहा, "कांग्रेस में काम करने वाले जनसंहार के एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति के रूप में श्री टॉम लांटोस इसकी जीवित मिसाल थे कि हमें दुष्टों के हाथों प्रताड़ित निर्दोष लोगों की ओर से नजरें कभी नहीं फेरनी चाहिए ।"