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ईरान में पत्थर मार कर मौत की सजा देने का सिलसिला बरकरार
11/02/2008

Iran
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ज़ोरेह काबिरी और अजर काबिरी नामक दो बहनों को ईरान में पत्थर मार कर मौत की सजा मिली है । उन पर आरोप है कि उन्होंने बेवफाई की है ।

अधिकारियों ने वर्ष 2007 के फरवरी महीने में इन दो महिलाओं को गिरफ्तार किया । ज़ोरेह काबिरी के पति ने दोनों पर मर्दों के साथ अवैध संबंधों का आरोप लगाया था । पति ने इन दोनों को एक मर्द के साथ एक वीडियो में दिखाया था । वीडियो में यौन संबंध का कोई सबूत सामने नहीं आया था । इसके बावजूद दोनों बहनों को 99 कोड़ों की सजा सुनाई गई । इस दंड के छह महीने बाद दोनों बहनों के खिलाफ दूसरी बार कार्रवाई चली और उन्हें बेवफाई का दोषी माना गया ।

ईरान की दंड संहिता में शादी-शुदा लोगों द्वारा बेवफाई के दंड के रूप में पत्थर मार कर मौत की सजा देने का प्रावधान है । इसमें पत्थरों के आकार तक को तय कर दिया गया है । पत्थर इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि इससे एक-दो वार में ही दोषी मर   जाए । पत्थर इतना छोटा भी न हो कि उसे पत्थर माना ही न जाए । एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक लिखित रिपोर्ट में कहा है कि यह दंड खासकर दोषियों को अधिक-से-अधिक कष्ट पहुंचाने के लिए बनाया गया है ।

वर्ष 2002 में ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख महमूद हाशेमी शाहरुदी ने पत्थर मार कर मौत की सजा पर प्रतिबंध की घोषणा की थी । इसके बावजूद पागलपन की यह प्रथा जारी है और अधिकतर महिलाओं को ही इस सजा का भागीदार बनना पड़ता है ।

हाल के वर्षों में कई लोगों को ईरान में पत्थर मार-मार कर मौत की सजा दी जा चुकी है । एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, 11 महिलाओं और 2 पुरुषों को जल्द ही पत्थर मार कर मौत की सजा दी जानी है ।

ईरान नगरिक और राजनीतिक अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र का भागीदार है । इसमें कहा गया है कि सबसे गंभीर अपराधों के लिए ही मौत की सजा दी जानी चाहिए । इसके अलावा इसमें कहा गया है कि किसी को भी यातना या क्रूरता या अमानवीय व अपमानित करने वाले व्यवहार और दंड का भागीदार नहीं बनाया जाएगा । एक लिखित बयान में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शॉन मैककॉर्मेक ने अमेरिका की यह चिंता जाहिर की कि ईरान में लोगों को ऐसे अपराधों के लिए मौत की सजा दी जा रही है, जो नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र के मानकों के अनुरूप नहीं हैं । इसमें पत्थर मार कर मौत की सजा भी शामिल है । ईरान ने इस प्रतिज्ञापत्र पर हस्ताक्षर किया है ।


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