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10 जनवरी  2009 

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बाल विवाह की सामाजिक बुराई पर अमेरिका की चिंता
07/02/2008

Forced marriage poster
Forced marriage poster
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने करीब 60 देशों में, खासकर सब-सहारा अफ्रीका, मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया में बाल विवाह को चिंता का विषय माना है । महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के पैरोकारों का कहना है कि बाल-विवाह लड़कियों के शारीरिक मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है । उनका कहना है कि बाल विवाह की वजह से लड़कियां पढ़ाई नहीं कर पातीं और इससे पति के चुनाव एवं शादी कब हो इस बारे में फैसला लेने का जीवन का उनका बुनियादी अधिकार छिन जाता है । अमेरिकी कांग्रेस की महिला सांसद बेट्टी मैककॉलम ने एक विधेयक पेश किया है, जिसके लागू होने पर अमेरिका के लिए बाल विवाह की समाप्ति विदेश नीति का लक्ष्य बन जाएगा । सुश्री मैककौलम ने कहा -

“जैसे ही किसी कम उम्र की लड़की की शादी होती है, उसका स्कूल जाना बंद हो जाता है । इसलिए अगर हम गरीबी दूर करना चाहते हैं, इन देशों में बेहतर स्वास्थ्य सेवा को सुलभ बनाने के लिए कुछ करना चाहते हैं, अगर लड़कियों को स्कूल में भेजने की दिशा में कुछ करना चाहते हैं तो बाल विवाह हर उस कोशिश के सामने एक बाधा है ।”  

कुछ गैर-सरकारी संगठनों के अनुसार, इथियोपिया के अमहारा क्षेत्र की करीब आधी से अधिक लड़कियों की शादी 14 वर्ष होते-होते कर दी जाती है । यह चलन गैर-कानूनी होने के बाद भी जारी है । यह अनुमान लगाया जाता है कि अफगानिस्तान में आधी से अधिक लड़कियां 16 की होने के पहले ही ब्याह दी जाती हैं । अफगानिस्तान में विवाह की कानूनी उम्र 16 साल है । एक स्वतंत्र विचार संस्था रैंड में सहायक अंतर्राष्ट्रीय नीति विश्लेषक के रूप में कार्यरत फरहाना अली का कहना है कि जहां भी बाल विवाह की प्रथा है, वहां अक्सर उस प्रथा को स्थानीय धार्मिक नेताओं का समर्थन प्राप्त है । उन्होंने कहाः

“अगर आप दक्षिण एशियाई देशों को देखें, मसलन अफगानिस्तान और पाकिस्तान तो वहां आपको कबीलाई संरचना और सामंती संरचना मिलेगी । वहां इस्लाम है, जिसका दुरुपयोग किया जाता है और उसकी गलत व्याख्या की जाती है ताकि बाल विवाह को धर्म के नाम पर वैध करार दिया जा सके । सरकार को उन धार्मिक नेताओं को शिक्षित करने की जरूरत है, जो धर्म के नाम पर ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि जब तक ऐसा नहीं किया जाएगा, तब तक समुदाय के स्तर पर सामाजिक रूप से स्वीकृत यह प्रथा जारी रहेगी ।”

इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन विमेन की मार्ग्रेट ग्रीन का कहना है कि बाल विवाह को रोकने के लिए यह सबसे जरूरी है कि इस बात को समझाया जाए कि ऐसा करना कितना हानिकारक है ।

“यह विभिन्न समुदायों में बाल विवाह के दुष्परिणामों को लेकर चेतना फैलाने का सवाल है । लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि जब लड़कियां कम उम्र में ही स्कूलों से निकाल दी जाती हैं तो वह खुद उनके लिए या उनके बच्चों के लिए ठीक नहीं है । अक्सर ऐसा होता है कि शादी के बाद महिलाओं का जिन स्थितियों से पाला पड़ता है, वे स्थितियां बाल विवाह की सूरत में और अधिक कठिन हो जाती हैं और उन्हें अधिक अपमान सहना पड़ता है । उन लड़कियों और संभवतः सेक्स के मामले में अधिक अनुभवी उनके पतियों के बीच उम्र का जो भारी फर्क होता है, उसकी वजह से उन्हें रोग होने का खतरा बढ़ जाता है ।” 

अमेरिकी कांग्रेस की महिला सांसद बेट्टी मैककॉलम का विधेयक अमेरिका को एक ऐसी रणनीति तैयार करने के लिए अधिकृत करेगा, जिससे बाल विवाह को रोकने में मदद मिल सकती है । यह विधेयक अमेरिकी प्रशासन को एक साल में इस दिशा में 2.5 करोड़ डॉलर खर्च करने का अधिकार भी देगा । सुश्री ग्रीन कहती हैं

“मुझे लगता है कि गत् साल या उसके आसपास हमारे सामने ऐसे दो बड़े अवसर आए, जिसका हमें इस क्षेत्र में बदलाव की दिशा में फायदा उठाना चाहिए । पहला वह विधेयक है, जिसे अमेरिकी कांग्रेस की महिला सदस्य मैककॉलम एक अर्से से समर्थन दे रही हैं । इस विधेयक के लागू होने से विदेशी सहायता की दिशा में जो खर्च होता है, उसके तहत अमेरिका को दूसरे देशों में बाल विवाह की समस्या पर भी ध्यान देना होगा ।”

इस बारे में पूछे जाने पर फ़रहाना अली ने कहा-

“मैं समझती हूं कि  इस समय पेश किया गया यह विधेयक काफी महत्वपूर्ण है । हालांकि सही बात यह है कि मेरा यह मानना है कि सही दायित्व उन देशों के राष्ट्रीय नेताओं का है, जहां महिलाओं के खिलाफ यह अपराध हो रहा है । अगर हम विभिन्न मुस्लिम देशों, मसलन मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया के देशों पर नजर डालें तो वहां पहले से कानून है । पाकिस्तान का उदाहरण लेते हैं । वहां बाल विवाह को रोकने के लिए 1929 बाल विवाह कानून है । दुर्भाग्यवश, हालांकि कानून बना हुआ है, लेकिन उसे लागू करने की कोई पद्धति नहीं है । इसलिए अमेरिका यह कर सकता है कि वह दुनिया के नेताओं के साथ मिलकर काम करे । लेकिन इसके अलावा उसे उन समुदायों के साथ काम करने के तरीकों को भी ढूंढना होगा । इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए अभी जो पैसा खर्च हो रहा है, उसमें यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह पैसा विश्व नेताओं के हाथ से वास्तव में समुदाय के स्तर तक पहुंचे । मेरे कहने का मतलब यह है कि महिलाओं के खिलाफ इस तरह के कई अपराध उन समुदायों में होते हैं, जो पुरुष प्रधान हैं, जहां सामंतशाही है और जहां महिलाओं के खिलाफ हिंसा को सामाजिक स्वीकृति मिली हुई है । इसलिए इस बात की गंभीर जरूरत है कि सत्ता के केंद्रों, प्रभाव के केंद्रों के साथ मिलकर काम किया जाए । ये प्रभाव के केंद्र धार्मिक सामुदायिक नेताओं के हाथ में हैं ।”

अमेरिकी कांग्रेस की महिला सांसद मैककॉलम ने जिस एक बात पर खास जोर दिया है, वह यह है कि यह प्रथा किसी एक खास धर्म तक सीमित नहीं है । लेकिन इसके बाद भी हमें यह देखने में आता है कि जहां कहीं भी यह प्रथा जारी है, ऐसा लगता है कि वहां विभिन्न धर्मों के स्थानीय धार्मिक नेता इसे सही मानते हैं या इसे बढ़ावा देते हैं । उस समस्या से कैसे निबटा जाए, जिसे स्थानीय धार्मिक नेताओं का समर्थन प्राप्त हो ? फ़रहाना अली-

“दुर्भाग्यवश बाल विवाह की यह प्रथा धर्म के नाम पर चल रही   है । इसे धर्म के नाम पर सही ठहराया जाता है और मैं यह बात खासकर मुस्लिम दुनिया से कहना चाहूंगी, क्योंकि मैंने मुख्य रूप से अपना शोध वहीं केंद्रित किया है । उदाहरण के तौर पर अगर हम दक्षिण एशियाई देशों को देखें, जैसे अफगानिस्तान और पाकिस्तान तो आप पाएंगे कि वहां कबीलाई एवं सामंती संरचना है । वहां इस्लाम है, जिसकी गलत व्याख्या की जाती है या दुरुपयोग किया जाता है ताकि इस तरह के काम या बाल विवाह को धर्म के नाम पर वैध दिखलाया जा सके । साधारण शब्दों में मैं इस्लाम पर फिर से विचार किये जाने का आह्वान करूंगी । दूसरे शब्दों में, इस बात की जरूरत है कि सरकार को उन धार्मिक नेताओं को शिक्षित करने की दिशा में काम शुरू करना चाहिए, जो यह काम धर्म के नाम पर कर रहे हैं । इसकी वजह यह है कि अगर आप ऐसा नहीं करते तो समुदाय के स्तर पर सामाजिक रूप से स्वीकृत यह प्रथा जारी रहेगी । दुर्भाग्यवश यह समस्या सभी जगह है, लेकिन उसका कोई एक उपाय नहीं   है ।

यह पूछे जाने पर कि इस समस्या की सामाजिक स्वीकृति के पहलू से कैसे निबटा जाए, इस व्यवहार को मजबूती देने वाले सामाजिक नियमों को बदलने के लिए क्या किया जाए मार्ग्रेट ग्रीन ने कहा -

कोई भी नहीं चाहता कि उसकी बच्ची का स्वास्थ्य खराब हो । कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहता कि वह ऐसी हो, जिसे स्थानीय संस्थानों के उपयोग या मौजूदा संसाधनों के उपयोग की कोई जानकारी न हो । मैं समझती हूं कि बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में समुदायों के बीच चेतना जगाने की जरूरत है ।  हर कोई चाहता है कि लड़कियां अच्छी तरह रहें ।


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