![Afghanistan President Hamid Karzai speaks at the opening session of the World Economic Forum in Davos, Switzerland, 23 Jan 2008](https://webarchive.library.unt.edu/eot2008/20090110132049im_/http://www.voanews.com/hindi/images/APHamidKarzai210.jpg) |
Afghanistan President Hamid Karzai speaks at the opening session of the World Economic Forum in Davos, Switzerland, 23 Jan 2008 |
अफगानिस्तान के बाल्ख प्रांत की राजधानी मज़ार-ए-शरीफ की एक अदालत ने एक 23 साल के युवक सैयद परवेज़ कमबख्श को तथाकथित ईश निंदा के मामले में मौत की सजा सुनाई है ।
श्री कमबख्श बाल्ख विश्वविद्यालय के छात्र हैं और जहान-ए-नाव अखबार में पत्रकार के रूप में कम करते हैं । गत् अक्टूबर में उन्हें गिरफ्तार किया गया था । उन्होंने मुस्लिम समुदायों में महिलाओं से संबंधित इंटरनेट पर एक लेख को डाउनलोड किया था । रहीमुल्ला समंदर अफगानिस्तान के इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट एसोसियेशन के अध्यक्ष हैं । उनका कहना है कि श्री कमबख्श ने यह लेख खुद नहीं लिखा था ।
उन्होंने कहा कि दरअसल श्री परवेज़ कमबख्श ने "कुरान में महिला-विरोधी पदों की सिर्फ नकल की थी और उन्हें पढ़कर अपने सहपाठियों को उसकी प्रतियां दी थीं । जब उन्हें गिरफ्तार किया गया तो अभियोजनकर्ता को लगा कि यही उन पदों के लेखक हैं, जबकि बाद में यह साबित हो गया कि उन्होंने तो सिर्फ उनकी प्रतियां बांटी थीं ।"
अफगानिस्तान की इंडिपेंडेट जर्नलिस्ट एसोसियेशन की तरफ से श्री समंदर ने कहा, "हम दूसरी अदालतों में अपील करेंगे । हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठन और अफगानी राष्ट्रपति तथा अफगानी संसद से सहायता की अपील करेंगे ।"
द इंस्टीट्यूट फॉर वॉर एंड पीस रिपोर्टिंग एक गैर-सरकारी संगठन है, जो संघर्षरत इलाकों में पत्रकारों को प्रशिक्षित करता है । इस संस्थान के ज्यां मैकेन्जी का कहना है, "हमारी यह दृढ़ मान्यता है कि मज़ार में अधिकारियों ने यह पूरा मामला गढ़ा है । इसका मकसद परवेज़ के भाई याकूब पर दबाव बनाना है, जिसने बाल्ख और अन्य उत्तरी प्रांतों में अत्यंत शक्तिशाली सेना कमांडरों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करने से संबंधित अनेक उग्र लेख लिखे हैं ।" रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संगठन ने एक बयान जारी करके कहा है, "परवेज़ कमबख्श के खिलाफ कार्रवाई जल्दबाजी में और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित उस कानून को ताक पर रखकर की गई है, जिसका अफगानी संविधान में प्रावधान है ।" कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने अफगानी राष्ट्रपति हामिद करज़ई के नाम एक खुले पत्र में कहा है, "सन् 2009 में होने वाले राष्ट्रपति और संसद के चुनावों के लिए तैयार होते अफगानिस्तान में यह बहुत आवश्यक है कि देश में एक ऐसे व्यावसायिक मीडिया उद्योग का विकास किया जाए, जो धार्मिक या अन्य दूसरे आधारों पर किसी भी तरह की सामग्री पर बंदिशों से मुक्त हो और जिस पर किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न की जा सके ।"
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक हिस्से से दूसरे हिस्सों में अलग-अलग कम या ज्यादा है । जैसा कि अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस का कहना है, "स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए ऐसे राज्य संगठनों की जरूरत होती है, जो पारदर्शी और जिम्मेदारी के साथ काम करते हों । इसके लिए एक गतिशील नागरिक समाज, एक स्वतंत्र न्यायपालिका और विधायिका, स्वतंत्र मीडिया और ऐसी सुरक्षा सेनाओं की जरूरत होती है, जो कानून का शासन बनाए रखे और अपने लोगों की हिंसा और अतिवाद से हिफाजत कर सके ।"