श्रीलंका सरकार की फौजों और उग्रवादी संगठन, लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (तमिल टाइगर्स) के बीच फिर से शुरू हुई लड़ाई में अब तक 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है । यह लड़ाई इस साल के शुरू में प्रारंभ हुई थी । श्रीलंका के अधिकारियों का कहना है कि मारे गए लोगों में अधिकतर तमिल उग्रवादी हैं ।
श्रीलंका सरकार ने इस महीने के शुरू में यह घोषणा की है कि वह नॉर्वे की सरकार की मध्यस्थता में वर्ष 2002 में हुए युद्ध विराम समझौते को खत्म कर रही है । अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शॉन मैककॉर्मेक ने एक लिखित बयान में कहा- इस युद्धविराम समझौते के खत्म किये जाने से श्रीलंका के संघर्ष का एक स्थायी एवं शांतिपूर्ण निदान ढूंढना अधिक मुश्किल हो जाएगा ।
श्रीलंका सरकार और तमिल टाइगर उग्रवादियों के बीच 25 साल से चल रहे संघर्ष में देश में अब तक करीब 7000 लोगों की जानें जा चुकी हैं । पिछले साल ही हजारों लोग मारे गए हैं । लाखों लोग बेघर हो गए हैं, या उन्हें जरूरी सुविधाओं, मसलन- पानी, बिजली और सड़कों की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है । यहां मानवाधिकार के हालात भी गंभीर बने हुए हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार, श्रीलंका में मानवाधिकार हनन के मामलों में सरकारी एजेंटों द्वारा गैरकानूनी ढंग से की गई हत्या, अज्ञात लोगों द्वारा बड़े लोगों की हत्या और सरकार व लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम से जुड़े अर्द्धसैनिक बलों द्वारा राजनीतिक मंशा से की गई हत्या के मामले शामिल हैं । तमिल टाइगर्स राजनीतिक हत्याएं और आत्मघाती हमले करते हैं और इस क्रम में श्रीलंका के नागरिकों को यातना, बच्चों की सेना में जबरन भर्ती जैसे दमन की कार्रवाई से गुजरना पड़ता है ।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शॉन मैककॉर्मेक ने एक लिखित बयान में कहा है कि इस संघर्ष से जुड़े सभी पक्षों की यह जिम्मेवारी बनती है कि वे श्रीलंका के तमाम लोगों के अधिकारों की रक्षा करें । उन्होंने कहा कि अमेरिका इस संघर्ष के सभी पक्षों से संघर्ष का एक न्यायपूर्ण और राजनीतिक निदान ढूंढने की दिशा में आगे बढ़ने की अपील करता है ताकि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के अधिकारों की रक्षा हो सके और श्रीलंका के सभी लोगों को फायदा हो ।