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President Bush |
राष्ट्र संघ महासभा ने 60 वर्ष पहले सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र पारित किया था । राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा है कि उस घोषणापत्र के मानदंडों से देशों का आचरण निर्देशित होना चाहिए ।
“यह मानव स्वतंत्रता के इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है । घोषणापत्र का आरंभ ‘मानव परिवार के सभी सदस्यों की अंतर्निहित गरिमा’ और ‘समान तथा अलग न किये जा सकने वाले अधिकारों’ को ‘विश्व में स्वतंत्रता, न्याय और शांति की नींव’ मानते हुए किया गया है ।”
दिसंबर में, राष्ट्र संघ महा सभा ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र का स्मरण किया गया था और ईरान में मानवाधिकार की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की गई थी ।
प्रस्ताव में “ईरानी जनता के मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के निरंतर, क्रमबद्ध उल्लघंनों का उल्लेख किया गया था । इसमें धार्मिक, जातीय, भाषाई या अन्य अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित लोगों के खिलाफ बढ़ते भेदभाव और अन्य मानवाधिकार उल्लघंनों के बारे में कहा गया था ।” इसमें “शांतिपूर्ण ढंग से इकट्ठे होने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए महिलाओं की गिरफ्तारियों, हिंसक दमन और सजा देने के बारे में बताया गया था ।” इसमें “शांतिपूर्ण ढंग से इकट्ठे और संगठित होने की स्वतंत्रता, और मत तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर क्रमबद्ध और गंभीर प्रतिबंधों का उल्लेख किया गया था, जिनमें मीडिया और ट्रेड यूनियनों पर लगाए गए प्रतिबंध भी शामिल हैं ।” और इसमें “ईरानी समाज के सभी वर्गों से आने वाले राजनीतिक विरोधियों के उत्पीड़न” का हवाला दिया गया था ।
राष्ट्र संघ प्रस्ताव में ईरान में अत्याचार की “पुष्ट घटनाओं” और “क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार या दंड, जिसमें कोड़े मारना और अंग-भंग करना शामिल है,” की निंदा की गई थी । और इसमें ईरान सरकार द्वारा “कानून की उचित प्रक्रिया का लगातार पालन न किये जाने” का उल्लेख किया गया था ।
राष्ट्रपति बुश ने बताया कि जब महान साइरस ने दो हज़ार वर्ष से भी अधिक समय पहले ईरान का नेतृत्व किया था, तब उसने विश्व का व्यक्तिगत अधिकारों का पहला घोषणापत्र पेश किया था । श्री बुश ने कहा कि अमेरिका उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा है, जब ईरान के लोग “आज़ादी के पूर्ण फलों” का आनंद ले सकेंगे, जिसके वे योग्य हैं ।