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अज़रबैजानी-ईरानी कार्यकर्ताओं को खतरा
23/12/2007

मानवाधिकार निरीक्षकों ने कहा है कि ईरान सरकार ने कई अज़रबैजानी-ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को बंदी बनाया हुआ है । सुश्री फाक्तेह ज़मानी ईरान में अज़रबैजानी राजनीतिक कैदियों की रक्षा के संगठन की निदेशक हैं । उन्होंने कहा कि श्री अब्बास लिसानी उनमें से एक हैं ।

"एक प्रमुख अज़रबैजानी-ईरानी कार्यकर्ता अब्बास लिसानी 2006 से आर्दिबिल जेल में हैं । 50 कोड़ों की सजा के अतिरिक्त उन्हें आहार जेल में 12 महीने बिताने की अतिरिक्त सजा दी गई है । उन्होंने कई खुले पत्र लिख कर जेल के अधिकारियों द्वारा गैर-कानूनी व्यवहार और अपने तथा अन्य अज़रबैजानी-ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अधिकारों के हनन का विरोध किया है ।"

श्री लिसानी ने ईरानी अधिकारियों के दुर्व्यवहार का विरोध करने के लिए कई लंबी भूख हड़तालें की हैं । सुश्री जमानी का कहना है कि उनकी जान खतरे में है ।

"भूख हड़ताल और यातना की वजह से वह सेहत की कई समस्याओं से जूझ रहे हैं । हमें ऐसी खबरें मिली हैं कि जेल के अधिकारियों द्वारा उन्हें जो यातना दी जा रही है, वह चाबुक मारने की क्रूरता से भी ज्यादा है, जो ईरान में आम है ।"

मानवाधिकार गतिविधियों के लिए बंदी बनाए गए अन्य अज़ैरबैजानी-ईरानी कार्यकर्ताओं में बहरूज़ सिफेरी और उनकी पत्नी लायला, सैद मेतिनपोर और उनके भाई एलिर्जा, इल्कार मेरेंदली, जेलिल केनिलू, मेहम्मद नुसरेती, मीर कासिम सेवयेंदिनज़ादेह और एब्दुल्ला अब्बासी जवान शामिल हैं । सैद मेतिनपोर और एब्दुल्ला जवान के रिश्तेदारों का कहना है कि बुरे व्यवहार की वजह से दोनों का स्वास्थ्य खराब है । मानवाधिकार वकील सालेह कामरानी को अब भी एविन जेल में रखा जा रहा है । मानवाधिकार निगरानी संगठन, एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि श्री कामरानी को केवल ईरानी-अज़रबैजानी और अन्य लोगों का वकील के तौर पर बचाव करने के लिए और अभिव्यक्ति की अपनी आजादी के अधिकार को शांतिपूर्ण ढंग से इस्तेमाल करने के लिए तथा ईरानी-अज़रबैजानी समुदाय को ज्यादा अधिकार दिये जाने को समर्थन देने के सिलसिले में हिरासत में लिया गया है ।

Sean McCormack
Sean McCormack
इस साल के शुरू में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शॉन मैककॉर्मेक ने फिर पुष्टि की थी कि अमेरिका ने ईरान सरकार से अपने नागरिकों का सिलसिलेवार दमन बंद करने, सभी ईरानी लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान करने और अपने सार्वभौमिक अधिकारों पर जोर देने के लिए गिरफ्तार किये गए और बंदी बनाए गए लोगों को रिहा करने के लिए कहा था ।


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