![80_AP0RiceHumanRights](https://webarchive.library.unt.edu/eot2008/20090110142034im_/http://www.voanews.com/hindi/images/80_AP0RiceHumanRights.jpg) |
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अमेरिका ने दिसंबर के दूसरे हफ्ते को मानवाधिकार सप्ताह निर्धारित किया है । विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस का कहना है कि अमेरिका “राष्ट्र संघ सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र की 59वीं वर्षगांठ मनाने के लिए दुनिया भर के गैर-सरकारी संगठनों और अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ है ।”
“आज हर महाद्वीप में पुरुष और महिलाएं, अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए, अक्सर कठिन परिस्थितियों में और भारी जोखिम उठा कर काम कर रहे हैं । अफसोस है कि कुछ सरकारों ने निजी और राजनीतिक स्वतंत्रता की बढ़ती हुई मांगों का जवाब अपनी जनता के प्रति अपने दायित्वों को स्वीकार करके नहीं, बल्कि उनका दमन करके दिया है, जो अभिव्यक्ति, संगठन बनाने और शांतिपूर्वक इकट्ठा होने की अपनी मौलिक स्वचंत्रता का इस्तेमाल करना चाहते हैं ।”
इसकी एक मिसाल ईरान सरकार है । ईरान में छात्र दिवस से कुछ समय पहले सुरक्षा फौजों ने दर्जनों छात्रों को इस बहाने गिरफ्तार कर लिया कि वे तेहरान विश्वविद्यालय में “गैर-कानूनी” बैठकें आयोजित करने की योजना बना रहे थे । गिरफ्तारियों के बावजूद, सैंकड़ों छात्रों ने 9 दिसंबर को विश्वविद्यालय में रैली निकाली । उन्होंने ईरान सरकार की नीतियों का विरोध किया, जिसमें छात्रों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और जातीय अल्पसंख्यकों के पक्षधरों को हिरासत में लेना भी शामिल है ।
बहार हिदायत ईरान के सबसे बड़े छात्र संगठन, फोस्टर यूनिटी के कार्यालय के महिला आयोग की सदस्य हैं । रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी को दिये एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ईरान में आंदोलनकारी छात्र जानते हैं कि जब वे विरोध करने का फैसला करते हैं तो क्या जोखिम उठाते हैं—गिरफ्तारी, स्कूल से निकाला जाना, यहां तक कि मौत भी । पर उन्होंने कहा कि प्रदर्शन जारी रहेंगे क्योंकि ईरानी “मौजूदा राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दबाव को अब और अधिक नहीं झेल सकते ।”
राष्ट्रपति जॉर्ज बुश इन्हीं साहसी लोगों के बारे में बोल रहे थे, जब उन्होंने मानवाधिकार सप्ताह की घोषणा करते हुए अपने बयान में कहा, “अमेरिका उन लोगों के साथ है, जो लोकतंत्र का निर्माण करने और आजादी के वरदान हासिल करने के लिए काम करते हैं ।”