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मध्य-पूर्व शांति और ईरान
01/12/2007

An Israeli man watches a report on the Annapolis peace conference, at an electronics store in Jerusalem, 27 Nov 2007<br /><br /> <br />
An Israeli man watches a report on the Annapolis peace conference, at an electronics store in Jerusalem, 27 Nov 2007


इस्राइली प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट और फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास बातचीत शुरू करने के लिए सहमत हो गए हैं । उनका उद्देश्य है कि दोनों राष्ट्र- इस्राइल और फिलिस्तीन- शांतिपूर्वक साथ-साथ रहें । पहली महत्वपूर्ण वार्ता येरुशलम में 12 दिसंबर को होगी ।

दोनों पक्ष अमेरिका द्वारा अन्नापोलिस, मेरिलैंड में प्रायोजित सम्मेलन में शांति वार्ता फिर से शुरू करने के लिए राजी हो गए थे । 50 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, जिनमें 16 अरब देश भी शामिल थे, के प्रतिनिधियों ने भाग लिया  था । राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा कि दोनों लोकतांत्रिक देशों- इस्राइल और फिलिस्तीन के शांतिपूर्वक रहने का उद्देश्य बहुत से देशों की प्रतिबद्धता के बिना हासिल नहीं किया जा सकता ।

"हमारा काम इस प्रयास में दोनों पक्षों को प्रोत्साहित करना और उन्हें सफल होने के लिए जरूरी समर्थन देना है ।"

एक देश, जिसने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह फिलिस्तीनियों और इस्राइली नेताओं के प्रयासों का विरोध करता है, ईरान है । ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने अन्नापोलिस सम्मेलन को असफल बताया है ।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शॉन मैककॉर्मेक ने कहा कि श्री अहमदीनेजाद की प्रतिक्रिया हैरान करने वाली नहीं है ।

"वह समझते हैं, जैसा कि अन्य लोग, जो अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए हिंसक चरमपंथ का इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं, समझते हैं कि इस्राइलियों और फिलिस्तीनियों के बीच शांति लाने में मदद करने से, एक लोकतांत्रिक फिलिस्तीन बनाने में, जहां फिलिस्तीनी लोगों को अपना भविष्य बेहतर बनाने का अवसर मिले, अपने लिए एक समृद्ध भविष्य बनाने का अवसर मिले, मदद करना उन हथकंडों और लक्ष्यों के लिए अभिशाप है, जो राष्ट्रपति अमहदीनेजाद और हिंसक चरमपंथ का सहारा लेने वाले उन लोगों- हमास और हिज़्बुल्ला- का लक्ष्य होता है । वे समझते हैं कि मध्य-पूर्व में वे जो हासिल करने की कोशिश करना चाहते हैं, उनके लिए इस तरह के प्रयास खतरनाक हैं, इसलिए यह आश्चर्यजनक नहीं है कि वे इसकी आलोचना करते रहेंगे ।"

राष्ट्रपति बुश ने कहा है कि विश्व को मध्य-पूर्व में चरमपंथियों को विजयी नहीं होने देना चाहिए, बल्कि वह दिन लाने के लिए काम करना चाहिए, जब वे आतंकवादी और चरमपंथी, जो इस्राइली और फिलिस्तीनी लोगों को धमकी देते हैं, हाशिये में चले जाएंगे और अंततः हार जाएंगे ।


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