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ईरान पर फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन का रुख कड़ा
14/11/2007

फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने परमाणु हथियार बनाने की ईरान की मंशा पर रोक लगाने के लिए उस पर दबाव बढ़ाए जाने की जरूरत पर बल दिया है । अमेरिका में जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ हुई अलग-अलग बैठकों में फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सार्कोज़ी और जर्मन चांसलर एंजेला मेर्केल ने कहा कि अगर ईरान राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद की उसके परमाणु कार्यक्रम से संबंधित मांगों को मानने से अभी भी इन्कार करे तो उस पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए । अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी और राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद ने बार-बार मांग की है कि ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन गतिविधियों को बंद करे । संवर्धित यूरेनियम का प्रयोग परमाणु हथियारों के बनाने में किया जा सकता है ।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन ने कहा है कि अगर ईरान अपना अड़ियल रवैया बरकरार रखता है तो ब्रिटेन सबसे पहले और कड़े प्रतिबंधों की मांग करेगा । उन प्रतिबंधों मे तेल और गैस के क्षेत्र में निवेश व वित्तीय क्षेत्र भी शामिल होंगे । श्री ब्राउन ने कहा कि ईरान को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि हम अपने उद्देश्य को लेकर गंभीर नहीं हैं ।

अमेरिका यह अपील कर रहा है कि राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद के साथ-साथ अलग-अलग देश अपनी तरफ से ईरान पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाएं । अक्टूबर महीने में अमेरिका ने ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स और कुद्स फोर्स के खिलाफ नए कदम उठाए थे । उसने परमाणु प्रसार और आतंकवादी गतिविधियों में मदद करने वाले सरकारी ईरानी बैंकों के खिलाफ भी कार्रवाई की थी।

U.S. Secretary of State Condoleezza Rice talks to the media during a press conference in Ramallah, 05 Nov 2007
U.S. Secretary of State Condoleezza Rice
अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस ने कहा है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मामले में अमेरिका एक कूटनीतिक रास्ता अपनाने को लेकर वचनबद्ध है, लेकिन ईरान को यह समझाने के लिए कि उसे अपना रास्ता बदलना पड़ेगा, उसके खिलाफ कई कड़े कदम उठाने की जरूरत है । सुश्री राइस ने कहा कि प्रतिबंधों के साथ-साथ फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, चीन और रूस के साथ मिलकर अमेरिका उन प्रोत्साहनों की पेशकश के साथ भी ख़ड़ा है, जो ईरान के अपना रास्ता बदलने पर दिये जाने का वायदा किया गया है । उन्होंने कहा-

“हमने कहा है कि हम व्यापार से जुड़े मुद्दों पर ध्यान दे सकते हैं । हम राजनीतिक मुद्दों पर विचार कर सकते हैं । हमने उस विचार को भी अस्वीकार नहीं किया है कि ईरान को नागरिक परमाणु ऊर्जा मिलना चाहिए और सही बात यह है कि हमलोग कुछ परिस्थितियों में उसमें ईरान का सहयोग भी करने को तैयार हो सकते हैं । उसे सिर्फ उन ईंधन चक्र, संवर्धन और प्रसंस्करण को छोड़ना होगा, जो परमाणु हथियार बनाने की तकनीक को विकसित करने में काम आ सकते हैं ।”

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा है कि इस बात की प्रत्याशा अधिक है कि ईरान के परमाणु हथियार का मसला कूटनीतिक तरीके से हल होगा । यह तब होगा, जब अमेरिका, जर्मनी और अन्य देश एक साथ मिलकर ईरानियों को यह साझा संदेश देंगे कि स्वतंत्र विश्व यह नहीं चाहता कि आपको परमाणु हथियार बनाने की क्षमता मिले । हमलोग इस दिशा में उसके अनुसार आगे बढ़ते रहेंगे ।


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