![President Pervez Musharraf makes speech in Islamabad, 08 Nov 2007](https://webarchive.library.unt.edu/eot2008/20090110125902im_/http://www.voanews.com/hindi/images/AFP_Pakistan_Musharraf_08Nov07.jpg) |
President Pervez Musharraf makes speech in Islamabad |
पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने देश के संविधान को निलंबित कर दिया है और पाकिस्तान की न्यायपालिका का शुद्धिकरण किया है ।
टाइम पत्रिका के विदेशी मामलों के संवाददाता, ब्रायन बैनेट ने कहा है कि अपनी घोषणा के बावजूद श्री मुशर्रफ मुख्य रूप से चरमपंथियों और आतंकवादियों के खिलाफ कदम नहीं उठा रहे हैं ।
बैनेट- श्री मुशर्रफ ने आपातकाल की जो घोषणा की थी, उसका पहला तर्क है कि यह चरमपंथियों के खिलाफ कदम उठाने के लिए किया गया है । और उसके बाद हर बात अदालतों के बारे में कही गई है । और अगर अब देखें कि पाकिस्तानी सरकार ने क्या कदम उठाए हैं तो ऐसा नहीं लगता कि वे चरमपंथियों के खिलाफ बहुत दिमागी ताकत या संसाधन खर्च कर रहे हैं । वे तो यह कोशिश कर रहे हैं कि पाकिस्तान में विपक्ष को भंग किया जाए ।
होस्ट- राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने श्री मुशर्रफ से पाकिस्तान के संविधान को निलंबित न करने का अनुरोध किया था, परंतु श्री बुश ने कहा है कि अमेरिका अब भी पाकिस्तान सरकार के साथ मिलकर काम करता रहेगा ।
बुश- हमने राष्ट्रपति से स्पष्ट कह दिया है कि हमें आशा थी कि वह आपातकाल की घोषणा नहीं करेंगे, जो कि उन्होंने की है । अब जबकि उन्होंने यह फैसला कर लिया है, तो अब हमें आशा है कि वह जल्दी ही चुनाव कराएंगे । इसके साथ ही हम आतंकवादियों और चरमपंथियों से लड़ने के लिए उनके साथ काम करना जारी रखना चाहते हैं ।
होस्ट- इरफान हुसैन पाकिस्तान के द डॉन और द डेली टाइम्स अखबारों के स्तंभ लेखक हैं । उनका कहना है कि अमेरिका को इस गलतफहमी को दूर करने का ज्यादा प्रयास करना चाहिए कि अमेरिका ने श्री मुशर्रफ के मार्शल लॉ को मंजूरी दी है ।
हुसैन- नागरिक समाज, धर्मनिरपेक्ष तत्वों को लगता है कि इस दमन में अमेरिका मुशर्रफ का सहयोगी है और मुझे लगता है कि इसे सुधारा जाना चाहिए । अगर इसे सुधारने के लिए कुछ नहीं किया गया तो मुझे लगता है कि अमेरिकी पाकिस्तान में और समाज के उस तबके में ज्यादा अलोकप्रिय हो जाएंगे, जो अभी तक चरमपंथ और आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए अमेरिका की ओर देख रहा था ।
होस्ट- लीसा कर्टिस हैरीटेज फाउंडेशन में वरिष्ठ रिसर्च फैलो हैं । उनका कहना है कि अल-कायदा के खिलाफ पाकिस्तान की लड़ाई को समर्थन देते रहने की जरूरत की वजह से अमेरिका के विकल्प सीमित हैं ।
कर्टिस- जाहिर है कि अमेरिका निराश है । उन्होंने इसका समर्थन नहीं किया था । कोई छिपा हुआ समर्थन भी नहीं दिया गया । विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस इससे ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सकती थीं । उन्होंने शुक्रवार को, उनके इमरजेंसी की घोषणा करने से एक दिन पहले कहा था कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए । उन्होंने उनकी अवज्ञा की । उन्होंने ऐसा किया । इसलिए मुझे लगता है कि इस पर अमेरिका का रुख बहुत स्पष्ट है । पर यह स्पष्ट नहीं है कि सहायता कार्यक्रम के बारे में क्या किया जा सकता है । अल-कायदा के तत्वों से लड़ने के लिए इन संसाधनों की जरूरत है, जो पाकिस्तानी सुरक्षा फौजें कर रही हैं ।
होस्ट- लीसा कर्टिस का कहना है कि अमेरिका को इस तरह की सहायता में कटौती करने से पहले बहुत अधिक सोच-विचार करना होगा, क्योंकि अल क़ायदा, अमरीका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए खतरा बना हुआ है ।