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Benazir Bhutto addresses reporters during press conference in Karachi, 19 Oct 2007 |
पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो ने कहा है कि वह जनवरी में होने वाले संसदीय चुनावों के लिए प्रचार अभियान शुरू करेंगी, हालांकि उन्हें अल-कायदा की ओर से फिर जान लेने की धमकियां मिली हैं । श्रीमती भुट्टो ने कराची में एक राजनीतिक रैली में उन पर और उनके समर्थकों पर आतंकवादियों द्वारा हमला किये जाने के बाद अपना अभियान स्थगित कर दिया था । आत्मघाती बमधारकों ने करीब 140 लोगों को मार दिया था । पूर्व प्रधानमंत्री 8 वर्ष तक निर्वासन में रहने के बाद पाकिस्तान लौटी ही थीं और उनके घर वापसी के जुलूस ने लाखों समर्थकों को आकर्षित किया था । डॉन और डेली टाइम्स अखबारों के स्तंभ लेखक, इरफान हुसैन का कहना है कि चरमपंथी आतंकवादी हिंसा के जरिये अभियानों में बाधा डालना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लोकतांत्रिक चुनावों में सफलता पाने के लिए जरूरी लोकप्रिय समर्थन प्राप्त नहीं होताः
हुसैनः पाकिस्तान में चरमपंथी पार्टियों को किसी भी चुनाव में 10 प्रतिशत से ज़्यादा वोट कभी नहीं मिले हैं । इसलिए मेरे ख्याल से, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में—हालांकि पाकिस्तान में फिलहाल इसकी कल्पना करना मुश्किल है—इस्लामिक पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहेगा, खासकर इसलिए कि उत्तर-पश्चिम सीमांत और बलूचिस्तान प्रांतों की सरकारों में उनका प्रदर्शन बहुत खराब रहा है । इसलिए मुझे लगता है कि बहुत सारे लोग उनसे आज़िज आ गए हैं और मेरे विचार में चुनावों में उनका प्रदर्शन काफी खराब रहेगा ।
होस्टः केविन वाइटलॉ यू.एस.न्यूज़ एंड वर्ल्ड रिपोर्ट पत्रिका में वरिष्ठ लेखक हैं । उनका कहना है कि अमेरिका द्वारा पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ को आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में समर्थन देना बहुसंख्यक पाकिस्तानियों तक पहुंचने की राह में बाधा बना है, जो लोकतांत्रिक सुधारों के इच्छुक हैंः
वाइटलॉः भुट्टो की वापसी का एक लाभ यह हो सकता है कि इससे अमेरिका को अपनी नीति का विस्तार करने और उसे मुशर्रफ पर केंद्रित न करने और पाकिस्तान के प्रति इस नीति को बहुत अधिक व्यक्तिपरक न बनाने में मदद मिल सकती है । इससे वास्तव में अमेरिका को मुशर्रफ पर इन चुनावों को अधिक लोकतांत्रिक और खुला बनाने का दबाव बनाये रखने का प्रोत्साहन मिल सकता है ।
होस्टः लीसा कर्टिस द हेरिटेज फाउंडेशन में सीनियर रिसर्च फैलो हैं । उनका कहना है कि अमेरिका लोकतंत्र पर ज़्यादा ज़ोर देने के लिए पाकिस्तान के प्रति अपनी नीति में पहले से ही परिवर्तन कर रहा हैः
कर्टिसः पिछले कुछ महीनों में हमने अमेरिका को अपनी नीति में बदलाव लाते देखा है । याद करें कि विदेश मंत्री राइस ने मुशर्रफ को देश में आपात्काल लागू करने से रोकने के लिए हस्तक्षेप किया था । मेरे ख्याल से यह एक सहायक कदम था । मैं यह भी नोट कर रही हूं कि अमेरिकी अधिकारी पर्दे के पीछे रह कर राष्ट्रपति मुशर्रफ को इस साल के अंत तक अपनी सैनिक वर्दी उतारने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, जैसा कि उन्होंने वायदा किया है । मेरा विचार है कि अमेरिका ने अपनी नीति में फेर-बदल किया है । मेरे ख्याल में उसने बहुत धीरे-धीरे ऐसा किया है पर वह समझता है कि हमें पाकिस्तान में चुनाव कराने की जरूरत है । हमें नागरिक लोकतांत्रिक शासन लाने की जरूरत है और यह पाकिस्तान के लिए अच्छा है ।
होस्टः अब पाकिस्तान के सामने आतंकवादी हिंसा से रक्षा करते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने की चुनौती है । बेनज़ीर भुट्टो कहती हैं कि हत्या और निर्दोषों के सामूहिक संहार के वास्तविक खतरे को देखते हुए हम लोगों के बीच प्रचार अभियान कैसे चलाएं ।