जर्मनी और राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य—चीन, रूस,अमेरिका,ब्रिटेन और फ्रांस—ईरान पर और अधिक प्रतिबंध लगाने के बारे में चर्चा कर रहे हैं । इसका कारण यह है कि ईरान सरकार ने राष्ट्र संघ द्वारा बार-बार की गई इन मांगों को मानने से इंकार कर दिया है कि वह यूरेनियम संवर्धन करना बंद कर दे, क्योंकि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है ।
राष्ट्र संघ के प्रतिबंधों के अतिरिक्त, अमेरिका ने ईरान सरकार की परमाणु और आतंकवादी गतिविधियों को पैसा देने की क्षमता को सीमित करने के लिए भी कदम उठाए हैं ।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, सान मैककोरमैक ने कहा कि अन्य देशों ने भी ईरान के खिलाफ कदम उठाए हैं--
"उदाहरण के लिए, जर्मनी ने ईरान के साथ व्यापार करने के लिए निर्यात ऋण सहायता कम कर दी है । अन्य देशों ने एकतरफा कदम उठाए हैं । हम अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय आधार पर भी बातचीत कर रहे हैं कि हम ईरान के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली का इस्तेमाल गैरकानूनी कार्यों के लिए करना असंभव नहीं, तो ज़्यादा मुश्किल बनाने के लिए कैसे सहयोग कर सकते हैं ।"
फ्रांस के विदेश मंत्री, बर्नार्ड कोचनर ने कहा कि "सबसे बदतर स्थिति", जो युद्ध की हो सकती है, से बचने का एकमात्र रास्ता ईरान पर "विश्वसनीय" प्रतिबंध लगाना है । उन्होंने कहा कि "अगर राष्ट्र संघ नए प्रतिबंध लगाएगा तो फ्रांस को खुशी होगी ।" श्री कोचनर ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो यूरोपीय देशों को अपनी ओर से प्रतिबंध लगाने चाहिए ।
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता, डाना पेरिनो ने कहा कि राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का मानना है कि ईरान के साथ "हमारी समस्याएं राजनयिक स्तर पर हल की जा सकती हैं ।" सुश्री पेरिनो ने कहा कि अमेरिका "लोगों को आर्थिक प्रतिबंध कड़े करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है ताकि ईरान पर अपने दायित्व पूरे करने के लिए दबाव डाला जा सके ।"