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ईरान में समानता के लिए महिलाओं का संघर्ष जारी
07/09/2007

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Iranian journalists of newly published reformist daily, Rouzegar (Times) work at the editorial of their newspaper (File)
ईरान में बहुत सारी महिला कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किये जाने के बावजूद वहां की महिलाएं मौलिक अधिकार और सम्मान हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं । ईरान में विश्वविद्यालय के छात्रों में ज्यादातर महिलाएं हैं । इसके बावजूद ईरानी कानून महिलाओं के खिलाफ पक्षपात को कई तरीकों से वैध बनाया है ।

कानून के अंतर्गत विवाह, तलाक, बच्चे का संरक्षण, विरासत और नागरिक मुआवजे से संबंधित मामलों में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम अधिकार दिये गए हैं । अदालत में एक ईरानी महिला की गवाही का वजन पुरुष की गवाही से आधा होता है । ईरान में किसी महिला को विदेश जाने के लिए अपने पुरुष रिश्तेदार की अनुमति लेनी पड़ती है । ईरान में महिलाएं राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड़ सकतीं और न ही उन्हें न्यायाधीश बनने की इजाजत है । इसके अतिरिक्त ईरान में तथाकथित अनैतिक आचरण के लिए ज्यादातर महिलाओं को ही सजा दी जाती है ।

इन कानूनों को बदलने के लिए 2006 में एक याचिका मुहिम चलाई गई थी । यह अभियान महिला अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा कई शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को ईरानी सुरक्षा बलों द्वारा बेरहमी से कुचल दिये जाने के बाद शुरू किया गया था । इस अभियान के तहत स्वयंसेवक ईरान के मौजूदा कानूनों के बारे में जानकारी देने वाले पर्चे बांटते हैं और दिलचस्पी लेने वाले लोगों को परिवर्तन की मांग करने की याचिका पर हस्ताक्षर करने का अवसर देते हैं । इसका उद्देश्य 10 लाख हस्ताक्षर जमा करना है ।

सुश्री मेहनाज अफखानी अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन, वीमेन्स लर्निंग पार्टनरशिप की अध्यक्ष हैं । उन्होंने ईरान में हस्ताक्षर अभियान की प्रशंसा करते हुए उसे एक शैक्षिक प्रक्रिया तथा परिवर्तन और सुधार की मांग बताया ।

"यह जमीन से जुड़ा अभियान है, जो कम-से-कम जनता को शिक्षित करता है और सार्वजनिक सर्वानुमति हासिल करता है । उन्हें बहुत आशा है और हम सबको भी है कि इस अभियान से महिलाओं से संबंधित कानूनों में ज्यादा समानता लाई जाएगी ।"

ईरानी सरकार की प्रतिक्रिया तीखी रही है । बहुत सी महिलाधिकार कार्यकर्ताओं को जेल की सजा दी गई है और कुछ को चाबुक मारने की सजा दी गई है । स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि ईरानी वकील और नोबल शांति पुरस्कार विजेता शिरीन इबादी ने इसकी जांच के लिए राष्ट्र संघ मानवाधिकार उच्चायुक्त को पत्र लिखा है । सुश्री इबादी ने कहा, "भेदभावपूर्ण कानूनों को खत्म करने के लिए अभियान चलाने वाली महिलाओं को जेल में नहीं भेजा जाना चाहिए ।"

अमेरिका इससे सहमत है । विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शौन मैककॉर्मेक ने एक बयान में कहा कि अमेरिका ईरान की महिलाओं के साथ है, जो अपने देश में अपने सार्वभौमिक अधिकारों और न्याय के लिए साहसपूर्ण संघर्ष कर रही हैं ।


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