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Pakistani security officials examine a damaged bus at the site of bomb blast in Rawalpindi, Pakistan, 04 Sept 2007 |
रावलपिंडी, पाकिस्तान में दो आत्मघाती बमधारकों ने कम-से-कम 25 लोगों को मार दिया और 60 से ज़्यादा को घायल कर दिया । आतंकवादियों ने पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों को ले जा रही बस और निकट के एक भीड़ भरे बाज़ार में बम विस्फोट किए ।
पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता, जावेद चीमा ने कहा कि किसी ने बम विस्फोटों की जिम्मेदारी नहीं ली है, पर पहले हुए कई हमलों का संबंध बैतुल्लाह महसूद से था । बताया जाता है कि महसूद पाकिस्तान के स्वायत्तशासी कबीलाई क्षेत्र के दक्षिण वजीरिस्तान में तालीबान-समर्थक चरमपंथियों का वरिष्ठ कमांडर है । अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उपप्रवक्ता, टॉम केसी ने रावलपिंडी में हुए बम विस्फोटों की निंदा कीः
“नागरिकों पर हमले करने, मानव जीवन को खतरे में डालने का कोई राजनीतिक या अन्य औचित्य नहीं होता । हम चरमपंथ का सामना करने के लिए निश्चय ही पाकिस्तान सरकार के साथ मिल कर काम करते रहना चाहते हैं और पकिस्तान को अपने लोकतंत्र का विकास करने में मदद देना चाहते हैं ।”
जुलाई में पाकिस्तानी फौजों और इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के परिसर पर कब्ज़ा करने वाले मुसलिम चरमपंथियों के बीच हुई गोलीबारी में सौ से ज़्यादा लोग मारे गए थे । बताया जाता है कि तब से सुरक्षा बलों पर, खासकर अफगानिस्तान की सीमा के निकटवर्ती कबीलाई क्षेत्रों में हुए हमलों में 300 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं ।
राजनीतिक मामलों के लिए अमेरिकी अवर सचिव निकोलस बर्न्स ने कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय युद्ध में अग्रणी पंक्ति में हैः
“पाकिस्तान ने पिछले 6 वर्षों में किसी अन्य की अपेक्षा अल-कायदा के सबसे ज़्यादा उग्रवादियों को मारा या पकड़ा है । उन्होंने सैंकड़ों संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है । उन्होंने अमेरिका को अल-कायदा के वरिष्ठ सदस्यों, जैसे कि खालिद शेख मोहम्मद, रमज़ी बिन अल शिभ और अबु ज़ुबैदा को सौंपा है । अब उन्होंने पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर एक लाख सैनिक तैनात किये हुए हैं और उनमें से कई सैनिक, 600 से ज़्यादा, आतंकवादी गुटों के साथ लड़ते हुए मारे गए हैं ।”
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सहायक प्रवक्ता टॉम केसी ने कहा कि यह साफ है कि “पाकिस्तान ने, राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के नेतृत्व में, चरमपंथ के खिलाफ सहनशीलता और उदारवाद की ताकतों का साथ देने का स्पष्ट चुनाव किया है ।”