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Helmand and Zabul regions in Afghanistan |
अफ़गानिस्तान के गज़नी प्रांत के गवर्नर मिराजुद्दीन पठान ने कहा है कि अफगान सुरक्षा बलों ने तालिबान कमांडर मुल्ला मतीन को मार डाला है । मारे गए कमांडर ने ही जुलाई महीने में 23 दक्षिण कोरियाई ईसाई सामाजिक कार्यकर्ताओं को बंधक बनाया था । उन्होंने कहा
“हमारे पुलिस बलों ने इलाके और आतंकवादी संगठन के उस नेता को चारों तरफ से घेर लिया, जिसने दक्षिण कोरियाई लोगों को बंधक बनाया था और फिर 16 साथियों के साथ उसे मार डाला।”
जिस गोलीबारी में मतीन और अन्य उग्रवादी मारे गए, उस अभियान में अफगान सुरक्षा बलों को अमेरिका-नीत गठबंधन फौजों ने भी मदद दी थी । अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता ज़ेमाराई बशारी ने कहा मुल्ला मतीन दक्षिण कोरियाई लोगों के अपहरण के पीछे सबसे प्रमुख व्यक्ति था । तालिबान ने अगस्त महीने में बंधकों को रिहा कर दिया, लेकिन इसके पहले वह दो बंधकों को मार चुके थे ।
अफगान सुरक्षा बल और उसके गठबंधन सहयोगी तालिबान उग्रवादियों पर दबाव बढ़ा रहे हैं । दक्षिणी हेलमंड और उत्तर पूर्वी नूरिस्तान प्रांतों में अमेरिका-नीत गठबंधन फौजों से लड़ते हुए 40 से अधिक उग्रवादी मारे गए हैं । कांधार प्रांत में एक दर्जन से अधिक उग्रवादी मारे गए हैं । उन्होंने इसके पहले खारवारी चिनेह गांव के उत्तर में तैनात अफगान सेना और गठबंधन फौजों पर हमला कर दिया था, जो असफल रहा । पांच घंटे चली इस लड़ाई में कोई अफगानी या गठबंधन सैनिक नहीं मारा गया । किसी अफगान नागरिक के भी मारे जाने या घायल होने की खबर नहीं है ।
राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा कि अमेरिका और उसके गठबंधन सहयोगी अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ लगातार मोर्चा संभाले हुए हैं ।
“आपको याद होगा कि बीती सर्दियों के दिनों में लोग बसंत ऋतु में तालिबान की कार्रवाई को लेकर अटकलें लगा रहे थे । वे सोच रहे थे कि तालिबान फिर से इकट्ठा हो गए हैं और वे अफगानिस्तान में बड़े हमले को अंजाम देने की तरफ अग्रसर हैं । बसंत ऋतु में आक्रमण जरूर हुआ, लेकिन यह आक्रमण अमेरिका और नाटो और उतने ही महत्वपूर्ण अफगान सैनिकों की ओर से हुआ ।”
राष्ट्रपति बुश ने कहा कि लड़ाई अभी भी जारी है और अधिक-से-अधिक अफगानी लोग इस लड़ाई में शामिल होने के लिए आगे आ रहे हैं ।