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पाकिस्तान में तनाव
18/08/2007

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने अफ़ग़ान सरकार को वचन दिया है कि वह अल क़ायदा और तालेबान के हमले रोकने के लिए अफ़ग़ान सरकार की सहायता करेंगे । जनरल मुशर्रफ़ ने कहा हमें इस ख़तरे से अपने समाज को बचाना चाहिये, और तब तक मिल कर काम करते रहना चाहिए जब तक हम अतिवाद और आतंकवाद की शक्तियों को नष्ट नहीं कर देते ।

केविन व्हाइटलौ, यू.एस.न्यूज़ एन्ड वर्ल्ड रिपोर्ट के वरिष्ट लेखक हैं । उन्होंने कहा कि हो सकता है राष्ट्रपति मुशर्रफ़ को आतंकवादियों का मुक़ाबला करने के लिये वांछित समर्थन न मिल सके ।

हम श्री मुशर्रफ़ को जितनी कमज़ोर स्थिति में अब देख रहे हैं, उतनी कमज़ोर स्थिति उनकी पहले कभी नहीं थी । उन पर अलग अलग पक्षों से अलग अलग तरह का दबाव पड़ रहा है, अब धर्म निरपेक्षता के साथ साथ कुछ हद तक धार्मिक अधिकारों का भी दबाव है ।  इस समय उन्हें विभिन्न पक्षों से अपना बचाव करना है, जिसके लिये उन्हें अलग अलग प्रतिरक्षात्मक तरीक़े अपनाने पड़ेंगे, साथ ही यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि उन पर अमरीका की ओर से कार्यवाही किये जाने का भी दबाव पड़ रहा है । लेकिन फिर, उन्होंने जिन कुछ आदिवासी क्षेत्रों में प्रवेश करना शुरू किया है, उन्हें उसकी प्रतिक्रिया के बारे में काफ़ी सावधान रहना होगा । हमें पाकिस्तानी अधिकारियों ने बताया है कि पिछले एक या दो सालों में जितने भी आत्मघाती बम हमले हुये हैं, उनमें से लगभग आधे पाकिस्तानी आदिवासी हैं जो इस तरह के हमले कर रहे हैं ।

आतंकवाद से लड़ने के लिये और अधिक प्रयास करने का दबाव पड़ने के साथ श्री मुशर्रफ़ पाकिस्तान के भीतर बढ़ती राजनीतिक अशांति का सामना कर रहे हैं । देश के प्रमुख न्यायाधीश को हटाने और समाचार माध्यमों की रिपोर्टों को सेंसर करने के सरकार के प्रयासों को भारी विरोध का सामना करना पड़ा । और सक्रियवादी मांग कर रहे हैं कि अक्टूबर के लिये निर्धारित चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों । अहमद रशीद तालेबान और जिहाद नामक पुस्तकों के लेखक हैं । इन्होंने कहा कि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सुधार, अतिवादियों का प्रभाव कम करने का एक मात्र तरीक़ा हैं । उन्होंने कहाः

 मौजूदा राजनीतिक संकट के जल्दी से जल्दी समाधान के लिये अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मिलना चाहिये जो जल्दी से जल्दी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने से ही होगा । और मेरे विचार में जब तक इस राजनीतिक संकट का समाधान नहीं हो जाता तब तक सेना और देश अल क़ायदा के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही करके उसका जवाब नहीं दे सकते । तो मेरे विचार में आपके लिये राजनीतिक स्थिरता बहुत आवश्यक है ।

लीसा कर्टिस, वाशिंगटन डी.सी. में हेरीटेज फ़ाउन्डेशन के एशियाई अध्ययन केन्द्र की वरिष्ट शोध कर्ता हैं । उन्होंने कहा कि अब अमरीका के नीति निर्माताओं को समझ में आने लगा है कि उन्हें पाकिस्तान में धर्म निरपेक्ष, नागरिक समाज को समर्थन देना  चाहिये । उन्होंने कहाः

पाकिस्तानी जनता में काफ़ी क्रोध और अप्रसन्नता है, जो देख रही है कि अमरीका, पाकिस्तानी जनता की इच्छा के विरुद्ध श्री मुशर्रफ़ को सहारा और समर्थन दे रहा है । तो मेरे विचार में अब समय आ गया है कि अपने आम संबंधो के प्रति वचनबद्धता दर्शाने के लिए अमरीका, पाकिस्तानी जनता की ओर मैत्री का हाथ बढ़ाये । अमरीका को पाकिस्तानी जनता की ओर से पड़ने वाला लोकतंत्र स्थापना का दबाव समझना चाहिये और यह भी समझना चाहिये कि इससे समानान्तर रूप से बढ़ रहे अतिवाद से निपटने भी सहायता मिलेगी ।

 

लीसा कर्टिस कहती हैं कि अब अमरीका की एक ही विचारधारा वाली नीति काम नहीं करेगी, जिसमें केवल श्री मुशर्रफ़ को सत्ता में बरक़रार रखने पर ही ध्यान केन्द्रित किया जाता है । व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता गौर्डन जौनड्रो का कहना है कि हम “पाकिस्तान में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का समर्थन करते हैं ।”  उन्होंने कहा अमरीका की नीति वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया के आधार पर उदारवादी राजनीतिक संस्थान की स्थापना में सहायता करना है ।


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