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पाकिस्तान का आतंकवाद से संघर्ष
14/08/2007

Pakistan's President Gen. Pervez Musharraf delivers a speech at a joint peace meeting in Kabul, Afghanistan, 12 Aug 2007 
Pakistan's President Gen. Pervez Musharraf delivers a speech at a joint peace meeting in Kabul, Afghanistan, 12 Aug 2007 
पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने कहा है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान को “एक छोटे से समुदाय से खतरा है, जो नफरत, हिंसा और पिछड़ेपन का प्रचार करता है ।”  श्री मुशर्रफ अफगानिस्तान की राजधानी, काबुल में एक संयुक्त शांति जिरगा या परिषद में भाग लेने आए 600 से ज़्यादा अफगान और पाकिस्तानी प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि तालिबानी उग्रवादी और अन्य हिंसक चरमपंथी “हमारी प्रगति और विकास में बाधा डाल रहे हैं और हमारे शांति, सहनशीलता और दया के महान धर्म, इस्लाम की छवि खराब कर रहे हैं ।”  उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान को “चरमपंथी और आतंकवादी ताकतों को कारगर ढंग से हराने के लिए मिलकर काम करना चाहिए ।”

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने जिरगा से कहा, “अफगानिस्तान को अपने पड़ोसी देश पर भरोसा है ।” अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, टॉम केसी ने कहा कि अमेरिका एक साझे शत्रु के खिलाफ दोनों देशों के साथ हैः


 “इस पर हम सब का यह विचार है कि तालीबान और अल-कायदा के आतंकवाद से लड़ने की जिम्मेदारी सभी देशों की है । यह निश्चय ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान, दोनों की जिम्मेदारी है । राष्ट्रपति करज़ई इस लड़ाई के लिए प्रतिबद्ध हैं । राष्ट्रपति मुशर्रफ भी हैं ।”

पाकिस्तान की हथियारबंद चरमपंथियों के साथ लड़ाई जारी है । पाकिस्तान के उत्तर और दक्षिण वजीरिस्तान प्रांतों के दुर्गम पहाड़ अल-कायदा और तालीबानी विद्रोहियों के अड्डे बने हुए हैं, जहां से सीमा पार करके वे अफगानिस्तान में हमले करते हैं । अमेरिका के राजनीतिक मामलों के विदेश अवर सचिव, निकोलस बर्न्स का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय युद्ध में अग्रिम पंक्ति में हैः
 
 “पाकिस्तान ने पिछले 6 वर्षों के दौरान, किसी अन्य की अपेक्षा, अल-कायदा के सबसे ज़्यादा सदस्यों को मारा या पकड़ा है । उन्होंने सैंकड़ों संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है । उन्होंने अमेरिका को अल-कायदा के खालिद शेख मोहम्मद, रमज़ी बिन अल शिभ और अबु ज़ुबैदा जैसे वरिष्ठ नेताओं को सौंपा है । उन्होंने पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर एक लाख सैनिकों को तैनात किया है, और इनमें से 600 से ज़्यादा सैनिक आतंकवादी गुटों के साथ लड़ते हुए मारे गए हैं ।”

अमेरिकी विदेश अवर सचिव, निकोलस बर्न्स ने कहा, “अल-कायदा पाकिस्तान में एक खतरनाक ताकत बना हुआ है, जैसा कि तालीबान भी है । इन शत्रुओं को हराना दक्षिण एशिया और विश्व में आतंकवाद को हराने के हमारे प्रयासों के लिए जरूरी है । ”


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