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पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत एन पैटरसन कहती हैं, “अमेरिका इस्लाम और न्याय, सहनशीलता और शांति के उसके आदर्शों का बहुत सम्मान करता है ।” सुश्री पैटरसन पकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी, लाहौर में सरकारी अधिकारियों और धार्मिक नेताओं से मिलीं ।
ऐतिहासिक बादशाही मस्जिद में राजदूत पैटरसन का स्वागत इमाम और खातिब, मौलाना खबीर आज़ाद ने किया । सुश्री पैटरसन ने जोर देकर कहा कि अमेरिका की इस्लाम से कोई लड़ाई नहीं है । “हमारी लड़ाई किसी भी धर्म के उन लोगों से है, जो धर्म का दुरुपयोग अपने राजनीतिक हितों के लिए हिंसा या आतंकवाद को उचित ठहराने के लिए करते हैं ।” सुश्री पैटरसन ने कहा कि वह पाकिस्तान के इस्लामी नेताओं के साथ मिल कर काम करना चाहती हैं क्योंकि सभी धर्मों के धार्मिक नेताओं के साथ बातचीत करना महत्वपूर्ण है ।
धार्मिक चरमपंथ पाकिस्तान के लिए चुनौती बना हुआ है । जुलाई में, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के परिसर पर कब्ज़ा करने वाले मुस्लिम चरमपंथियों के बीच हुई गोलीबारी में सौ से ज़्यादा लोग मारे गए थे । लाल मस्जिद की घेराबंदी से पाकिस्तान के कबीलाई इलाकों में हिंसा शुरू हो गई । पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने कहा कि पाकिस्तान में आतंक और चरमपंथ खत्म नहीं हुआ है पर हमारा संकल्प उसका सफाया करने का है ।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सहायक प्रवक्ता, टॉम केसी ने कहा कि हिंसक चरमपंथियों के साथ संघर्ष में अमेरिका पाकिस्तान के साथ है ।
“हम जानते हैं कि पाकिस्तान की सरकार और नेतृत्व को सीधे खतरा रहा है और इसे राष्ट्रपति मुशर्रफ से बेहतर कोई नहीं जानता, जिन पर पिछले दो सालों में जानलेवा हमले करने की कई कोशिशें हुई हैं । फिर भी, मैं समझता हूं कि हम उनके साथ मिलकर पाकिस्तान के लिए ऐसा भविष्य बनाना चाहते हैं, और हमें विश्वास है कि अधिकांश पाकिस्तानी भी यही चाहते होंगे, जो आधुनिक, उदारवादी इस्लामी राज्य हो, जो अल-कायदा और तालीबान जैसे चरमपंथियों से लड़ने के लिए अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अन्य सदस्यों के साथ मिल कर काम करे ।”
राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा कि चरमपंथ के खिलाफ संघर्ष में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली आवाज़ उदारवादी मुस्लिम नेताओं की है । श्री बुश ने कहा, “हमें और अधिक मुस्लिम नेताओं को अपनी आवाज़ उठाने के लिए, मस्जिदों में घुसपैठ करने वाले कट्टरपंथी चरमपंथियों के खिलाफ बोलने के लिए, उन संगठनों की आलोचना करने के लिए, जो धर्म की आड़ में हिंसा की गतिविधियों को समर्थन और पैसा देते हैं, प्रोत्साहन देना चाहिए ।”