![Survivors of the genocide in Darfur](https://webarchive.library.unt.edu/eot2008/20090110122929im_/http://www.voanews.com/hindi/images/darfur_tv_27jul07_210.jpg) |
Survivors of the genocide in Darfur |
अमेरिका सूडान के दारफूर क्षेत्र में मानवीय त्रासदी को खत्म करने की दिशा में हो रहे प्रयासों का पुरजोर समर्थन करता रहा है । पिछले चार सालों में सरकार का समर्थन प्राप्त हमलों में 2 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 27 लाख लोगों को सूडान और चाड के अंदर बने विभिन्न शिविरों में पनाह लेनी पड़ी है, लेकिन वहां भी वे त्रासदी झेल रहे हैं और भूख व रोग की वजह से उनकी मौतें हो रही हैं ।
वर्ष 2005 से ही अमेरिका, दारफुर को 2 अरब डॉलर से भी अधिक की मानवीय सहायता दे चुका है । हाल के सप्ताहों में अमेरिका ने दारफूर में जारी नरसंहार को लेकर सूडानी राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ प्रतिबंधों को कड़ा करने का काम शुरू किया है । खार्तूम सरकार की मदद से जंजावीड़ नामक लड़ाकुओं के सशस्त्र दस्ते पूरे दारफूर में किसानों के खिलाफ आतंक का सिलसिला चलाए हुए हैं । उन्होंने समुदायों को बर्बाद कर दिया है और निवासियों को या तो मार दिया है या उन्हें भगा दिया है ।
दारफूर में संकट विषय पर पेरिस में होने वाले सम्मेलन की पूर्व संध्या पर अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस ने पश्चिमी सूडान में हिंसा को खत्म करने में अन्य देशों से मदद की अपील की । उन्होंने कहा कि अब तक दुनिया ने वह नहीं किया है, जो जरूरी था ।
![Secretary of State Condoleezza Rice, 11 July 2007](https://webarchive.library.unt.edu/eot2008/20090110122929im_/http://www.voanews.com/hindi/images/APRice210_53.jpg) |
Secretary of State Condoleezza Rice |
उन्होंने कहा- हमें राष्ट्र संघ में बलों को भर्ती करना पड़ेगा ताकि हम उन्हें रोक सकें । हमें वहां तैनात अफ्रीकी संघ के बलों का समर्थन करना पड़ेगा । इतना कुछ करने के लिए है कि मैं यह सबसे पहले कह रही हूं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अपनी जिम्मेवारी को प्रभावी ढंग से नहीं निभाया है ।
लेकिन दारफूर में त्रासदी की मुख्य गुनहगार सूडानी सरकार है । अमेरिका यह अपेक्षा करता है कि खार्तूम की सरकार अपने किये गए समझौते का पालन करने के लिए कदम उठाए और अंततः दारफूर में तैनात अफ्रीकी संघ के 7,000 शांति सैनिकों को मदद करने के लिए राष्ट्र संघ के बलों की तैनाती की अनुमति दे । सुश्री राइस ने यह भी कहा कि अमेरिका सूडान के खिलाफ अधिक-से-अधिक प्रतिबंध लगाने पर तब तक दबाव डालता रहेगा, जब तक वहां की सरकार जिम्मेदाराना ढंग से काम नहीं करने लगती ।
उन्होंने कहा कि दारफूर में अब हम वैसी स्थिति नहीं झेल सकते, जिसमें समझौते तो होते हैं, लेकिन उनका पालन नहीं होता । इसलिए अमेरिका यह तर्क देता रहेगा कि अगर सूडान अपने दायित्वों को पूरा करने की अपेक्षा पर खरा नहीं उतरता तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए ।
राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा कि दारफूर में उत्पन्न स्थिति से यह पता चलता है कि बुराई इतिहास का कोई अध्याय नहीं, बल्कि मानव हृदय की वास्तविकता है । उसी बुराई को हम सूडान में देख रहे हैं और हम इसे सहन नहीं कर सकते ।