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ईरान और बहरीन
28/07/2007

Iran's supreme leader Ayatollah Ali Khamenei, 4 June 2007
Iran's supreme leader Ayatollah Ali Khamenei, 4 June 2007
ईरान के सर्वोच्च नेता आयातोल्लाह अली  खमेनई के करीबी सलाहकार ने हाल ही में लिखा था कि बहरीन देश ईरान का प्रांत था । कट्टरपंथी, सरकार-अधिकृत ईरानी अखबार, केहान के संपादक, हुसैन शरियतमदारी ने एक संपादकीय में यह दावा किया था । केहान को आमतौर पर श्री खमेनई का मुखपत्र माना जाता है ।

 

इस दावे पर कि बहरीन ईरान का हिस्सा है, बहरीन की राजधानी मनामा में गुस्सा और विरोध भड़क उठा । इसके तुरंत बाद ईरान के विदेश मंत्री, मनोचहर मोताकी बहरीन गए । वहां एक प्रेस कांफ्रेंस में श्री मोताकी ने कहा कि दोनों देश एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं ।


अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शौन मैककोरमैक ने कहा कि यह दावा कि बहरीन ईरान का प्रांत है, न केवल बहरीन के नागरिकों के लिए, बल्कि खाड़ी के क्षेत्र में हर किसी के लिए हैरतअंगेज़ है । उन्होंने कहा कि यह ईरानी नेतृत्व के अनर्गल बयानों की कड़ी में एक और बयान है ।

 


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ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद बहुत बार इस्राइल को नक्शे से मिटाने के बारे में कह चुके हैं । अब उन्होंने अपना ध्यान बहरीन पर केंद्रित किया है और बहरीन को हड़पना चाहते हैं । मेरे विचार में यह एक और संकेत है कि यह निज़ाम किस तरह अंतर्राष्ट्रीय आचरण के स्वीकृत नियमों का उल्लंघन करता है ।"
Sean McCormack
Sean McCormack


श्री मैककोरमैक ने कहा कि ईरान महान देश है, जिसकी महान संस्कृति है और कोई भी ईरानी लोगों को दुनिया में उनकी उचित जगह से महरूम करना नहीं चाहता । उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से ईरान सरकार ईरान को गलत दिशा में ले जा रही है ।
 
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जब आप नेतृत्व की इन टिप्पणियों को जोड़ते हैं, जब आप उनके सभी कदमों को जोड़ कर देखते हैं, जैसे कि अमेरिकी नागरिकों के ईरान छोड़ने पर रोक लगाना, ब्रिटिश नाविकों और मरीन को हिरासत में लेना, परमाणु मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय इच्छा की अवहेलना करना, इराक में उन ताकतों को समर्थन देते रहना, जो उस देश को अस्थिर करना चाहते हैं, तो ऐसे देश की तस्वीर बनती है, जो अपनी नीति को अनुकूल बनाने के मामले में ज़्यादातर दुनिया से 180 डिग्री उल्टा है ।"
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, शौन मैककोरमैक कहते हैं, "इन बयानों और इन कदमों  का कुल असर ईरानी लोगों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है । पर उन्हें समझना चाहिए कि उनका नेतृत्व ही उनके देश को ज़्यादा से ज़्यादा अलगाव की स्थिति में धकेल रहा है ।"


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